काँगड़ा चाय के उत्पादन में आया बड़ा उछाल:कोलकाता की गलियों में हुई मशहूर काँगड़ा चाय
धर्मशाला,रिपोर्ट मोनिका शर्मा
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को यूरोपियन यूनियन की ओर से भौगोलिक संकेतक का दर्जा भी मिला है। GI टैग मिलने के बाद कांगड़ा से चाय सीधा यूरोपियन देशों में निर्यात हो सकेगी जिससे व्यापारी काफी खुश हैं। कांगड़ा की चाय निर्यातकों की अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में और ज्यादा मजबूत होने वाली है। कांगड़ा चाय (Kangra Tea) को अब भौगोलिक संकेतक (GI Tag) का दर्जा मिल गया है। कांगड़ा चाय को जी.आई. टैग यूरोपियन यूनियन (European Union) से मिला है। इससे कांगड़ा चाय उत्पादकों की आर्थिकी मजबूत होगी. बता दें कि अब तक कांगड़ा चाय सिर्फ कोलकाता तक ही निर्यात होती है। लेकिन अब जी.आई. टैग मिलने के बाद हिमाचल की चाय यूरोप तक निर्यात हो सकेगी।
दुनियाभर में अपनी खास महक और स्वाद के लिए मशहूर कांगड़ा चाय का उत्पादन इस बार पिछले दो वर्षों के मुकाबले ज्यादा रहा है। अप्रैल 2023 में कांगड़ा जिले में कुल 1 लाख 78 हजार किलो चाय का उत्पादन हुआ है। यह निश्चित तौर पर चाय उद्योग के लिए प्रोत्साहन का विषय है, क्योंकि अप्रैल में कांगड़ा चाय के दाम भी अच्छे मिलते हैं। कांगड़ा चाय के उत्पादन में आया उछाल: टी बोर्ड ऑफ इंडिया पालमपुर के अधिकारी अभिमन्यु शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बड़े चाय उत्पादकों अप्रैल में जहां इस साल 1 लाख 70 हजार किलो कांगड़ा चाय तैयार की गई !
वहीं, छोटे उत्पादकों ने भी 8 हजार किलो कांगड़ा चाय का उत्पादन किया. अप्रैल तोड़ चाय (कांगड़ा चाय) का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही इस साल में चाय के कुल उत्पादन का ग्राफ बढ़ने की संभावना भी बन गई है। उन्होंने बताया कि अप्रैल के महीने में मौसम का पूरा साथ मिलता तो कांगड़ा चाय की पैदावार का आंकड़ा इससे भी ऊपर जा सकता था। इस बार चाय उत्पादकों को कोलकाता में अच्छे दाम मिले हैं और 1500 रुपये किलो तक चाय बिकी है। वहीं, टी बोर्ड के प्रोत्साहन से छोटे चाय उत्पादकों ने भी अमृतसर की जगह कोलकाता मार्किट का रुख किया और उनकी चाय को 900 रुपये किलो तक का भाव मिला है।
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