नशा मुक्ति एवं पुनर्वास नीति के प्रारूप प्रस्ताव पर चर्चा
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार नशीले पदार्थों की गिरफ्त में आ चुके युवाओं के लिए नशा मुक्ति एवं पुनर्वास नीति तैयार करेगी। इस नीति के प्रारूप प्रस्ताव पर आज यहां आयोजित बैठक में विस्तार से चर्चा की गई।मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी अकेलेपन एवं मोबाइल में सिमटती गतिविधियों के कारण आसानी से नशे की गिरफ्त में आ रही है, विशेष तौर पर पिछले 4-5 सालों में प्रदेश में नशाखोरी के मामलांे में वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन युवाओं को नशे की प्रवृत्ति से बाहर निकालने तथा उनके पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठा रही है। प्रदेश में इसके लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएएनएस) के सहयोग से एक स्टेट ऑफ द आर्ट नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र स्थापित किया जाएगा। इसके लिए लगभग 50 बीघा भूमि का चयन करने के लिए उन्होंने सम्बन्धित विभागों को उचित निर्देश भी दिए।उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र एक समग्र सोच के साथ गुरुकुल पद्धति पर आधारित होंगे जहां पर नशे की गिरफ्त में आये व्यक्तियों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए कार्य किया जाएगा और एक सादे जीवन एवं सामुदायिक सहयोग के लिए उन्हें प्रेरित किया जाएगा।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशा मुक्त करने के साथ ही उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। साथ ही नशा मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे व्यक्तियों की मदद कर उन्हें व्यापक एवं बेहतर उपचार उपलब्ध करवाना है। इस केंद्र के माध्यम से उन्हें शैक्षणिक एवं व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने में भी मदद की जाएगी, ताकि वे दोबारा सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें। इस केन्द्र में उनमें खोया आत्म विश्वास पुनः जागृत करने और जीवन में उन्नति के लिए उचित सलाह के साथ ही उपचार उपरान्त उनकी समुचित निगरानी भी की जाएगी। उन्हें परिवार एवं समाज से दृढ़ नैतिक एवं अन्य सहयोग उपलब्ध करवाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि वे समग्र रूप से सामान्य जीवन में लौट सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नशाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए दीर्घावधि के लिए योजना बनाना सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए प्रस्तावित नीति के प्रथम चरण में नशा मुक्ति के लिए पुलिस व स्वास्थ्य विभाग तथा सलाहकार बोर्ड की मदद ली जाएगी, द्वितीय चरण में इनके पुनर्वास के लिए स्वास्थ्य, युवा सेवाएं एवं खेल, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, कृषि और बागवानी विभाग के समन्वय से कार्य किया जाएगा। तृतीय चरण में समाज में इनके पुनः संयोजन के लिए शिक्षा, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास तथा सहकारी बैंकों एवं समितियों का सहयोग लिया जाएगा। चौथे चरण में निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास एवं स्थानीय निकायों का सहयोग लिया जाएगा।
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