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हिमाचल में अत्याधुनिक तकनीक से तैयार होंगे उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पौधे

                                             बागवानी क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है

शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा 

बागवानी क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। प्रदेश सरकार किसानों और बागवानों के कल्याण के लिए कई अभिनव कदम उठा रही है। इस कड़ी में राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पौधों को विकसित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रही है।मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की कृषि-जलवायु विविधता बागवानी क्षेत्र के विस्तार और सेब, नींबू प्रजाति के फलों, आम, खुमानी और नाशपती जैसे फलों की पैदावार के लिए वरदान है। राज्य सरकार किसानों की आय में वृद्धि और बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।


हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष फलों के पौधे रोपे जाते हैं। प्रदेश में विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित बागवानी विकास परियोजना के अंतर्गत लाखों पौधे आयातित किए जाते हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बागवानी उत्पादों तथा फल-फसलों की उत्पादकता, गुणवत्ता और विपणन के लिए आधारभूत संरचना को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार रोपित किए गए पौधों को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने के प्रति संवेदनशील है। इस समस्या से निपटने और बागवानी क्षेत्र में सुधार के लिए प्रदेश सरकार नई तकनीकों को अपनाने पर विशेष बल दे रही है। इसके लिए कई फल उत्पादक राज्यों के पौधरोपण मॉडल का अध्ययन किया जा रहा है और किसानों को नवीनतम तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि पौधरोपण की अधिक-से-अधिक जीविता दर बनाई रखी जा सके।

उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्तपोषित एचपी शिव परियोजना के तहत ऑस्ट्रेलिया में पौध स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में अपनाई जा रही स्क्रीनिंग, टैस्टिंग, साफ-सफाई व रख रखाव इत्यादि की आधुनिक तकनीक का अवलोकन एवं अध्ययन किया।दल ने एलिजाबेथ कृषि संस्थान और स्ट्रॉबेरी इंडस्ट्री सर्टिफिकेशन अथॉरिटी का भी दौरा किया। इस दौरान संतरे के उत्पादन मंे माईक्रो ग्राफ्टिंग तकनीक का अवलोकन करने के साथ-साथ सिट्रस पैथेलोजी कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय सिट्रस रिपोजीटरी कार्यक्रम इत्यादि पर चर्चा की।प्रदेश मंे शिवा परियोजना के अतंर्गत लगभग 1800 हेक्टेयर भूमि को संतरा उत्पादन के अन्तर्गत लाना प्रस्तावित है, जिसमंे लगभग 20 लाख पौधों की आवश्यकता होगी।बागवानी क्षेत्र में सुधार के लिए आस्ट्रेलिया से तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर प्रदेश मंे इसे प्रयोग मंे लाने की दिशा मंे यह प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण नवोन्मेषी पहल है। इससे प्रदेश में उच्च गुणवता वाले संतरे के पौधे तैयार करने में सहायता मिलेगी और बागवान लाभान्वित होंगे।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दौरा राज्य सरकार द्वारा बागवानी क्षेत्र में विस्तार तथा बागवानों के कल्याण और उत्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता हैं। सरकार के नवीन और ठोस प्रयासों के सुखद परिणाम शीघ्र ही दृष्टिगोचर होंगे।



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