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डीसी ने की विकास खंडों में चल रहे कार्यों की समीक्षा

                      कहा.... पंचायतों में भौतिक विकास के साथ प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन हो प्राथमिकता

धर्मशाला,रिपोर्ट मोनिका शर्मा 

 उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल की अध्यक्षता में आज शनिवार को कांगड़ा जिला के समस्त विकास खंडों में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा को लेकर डीसी ऑफिस में बैठक आयोजित की गई। बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल सहित जिला के सभी खंड विकास अधिकारी तथा डीआरडीए, योजना और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान जिले में पंचायतों के विकास से संबंधित सभी कार्यों पर सिलसिलेवार चर्चा करते हुए उनकी समीक्षा की गई।

उपायुक्त ने अधिकारियों को पंचायतों में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष बल देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों में प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि पंचायतों के भौतिक विकास के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनका सही प्रबंधन सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने सभी अधिकारियों को इस दिशा में विशेष ध्यान देने को कहा।

उपायुक्त ने सभी विकास खंड अधिकारियों को ग्रामीण विकास से जुड़े कामों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए खंड विकास अधिकारी की भूमिका अहम होती है। उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों को विकास के तय लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के निर्देश दिये।बैठक में मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मिशन धनवंतरी, स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण), पंचवटी पार्क, अमृत सरोवर, वॉटर शैड योजना, सामुदायिक भवनों के निर्माण, ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की प्रगति की  समीक्षा की गई। डीसी ने ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को पंचायत स्तर पर समग्र मनरेगा पर विशेष फोकस करने को कहा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हो सकें।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी बरसात के मौसम से पूर्व पंचायतों में कुहलों, चेक डैम, खड्डों और नालों की डीसिल्टिंग (गाद निकालना) और उनकी सफाई के कार्य को प्रमुखता से किया जाए। उन्होंने कहा कि वॉटर बॉडिज़ से गाद निकालने से बरसातों के दौरान पानी अपने प्राकृतिक मार्ग से ही बहता है, जिससे बाढ़ या अन्य प्रकार की आपदाओं की संभावना कम हो जाती हैं। बरसात के दौरान वॉटर बॉडिज़ में पानी अपने निश्चित मार्ग से ही बहे इसलिए उन्होंने डीसिल्टिंग के कार्य को प्राथमिकता से करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि पंचायतों में जल संरक्षण और प्रबंधन के कार्य को मजबूति देने के लिए सरकार द्वारा अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर आने वाले समय में जल अभाव और उससे जुड़े संकटों के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में अमृत सरोवर के निर्माण के लिए अभी तक 143 साइट चिन्हित की गई हैं। उन्होंने बताया कि इन 143 स्थानों में से 109 पर अमृत सरोवर बनाने का काम शुरु हो गया है, जिनमें से 60 में अमृत सरोवर बनकर तैयार हो गए हैं। उपायुक्त ने इनकी संख्या बढ़ाते हुए खंड विकास अधिकारियों को प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम दस अमृत सरोवर के निर्माण के लिए स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए।

डीसी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए आधुनिक प्रयासों के अतिरिक्त पारंपरिक ज्ञान का भी उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सुझाव लेकर उन पर भी कार्य किया जाए।उपायुक्त ने पंचायतों में विकास कार्यों के लिए आवंटित धनराशि का सदुपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों का नियमित तौर पर निरीक्षण किया जाए तथा निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने विकास खंड अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा करना जरूरी है ताकि विकास कार्यों को पूर्ण करने में तेजी लाई जा सके।

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