शरीर, मन और संपत्ति सब ईश्वर के हैं फिर चिंता की क्या ज़रूरत है? एक भक्त होने का लक्षण यही है, जो किसी बात की चिंता नहीं करता
पंचरुखी,रिपोर्ट बलजीत शर्मा
राजकीय प्राथमिक पाठशाला भटू समूला में आज योग का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अध्यापिका श्रीमती किरण परमार जी ने बच्चों को योग के बारे में जानकारी देने के लिए आयुष विभाग के योगा गाइड ज्योति और अंकुश को स्कूल में योग , प्राणायाम के साथ ध्यान के बारे में जानकारी के लिए बुलाया गया था जिसमे ज्योति ने आसन और प्राणायाम के बारे में बताया ओर अंकुश ने योग यात्रा के साथ में बच्चों को ध्यान के करवाया और ध्यान में भक्ती और ज्ञान के मार्ग से मन में दिव्यता !शरीर, मन और संपत्ति सब ईश्वर के हैं,फिर चिंता की क्या ज़रूरत है? एक भक्त होने का लक्षण यही है, जो किसी बात की चिंता नहीं करता। जीवन में अच्छा और बुरा समय आएगा लेकिन आपको हमेशा अपने आप को संतुलन में रखना है l
अगर भक्तिभाव चरम सीमा पर होने के कारण आँखों में आँसू आते हैं, तो मन पवित्र हो जाता है lज्ञान से बुद्धि की शुद्धि होती है,दान करने से धन की शुद्धि होती है,योग और आयुर्वेद से शरीर की शुद्धि होती है.सेवा से कर्म की शुद्धि होती है, और ध्यान से आत्मा की शुद्धि होती है lबुद्धि को शुद्ध करने के लिए, ज्ञान सुनिए ज्ञान क्या है? यह वह सजगता है कि सब कुछ नश्वर है और जो भी कुछ हो रहा है मैं उसका साक्षी मात्र हूँ lमेरा मन आत्मा में विलीन हो जाए,मन लहर है, आत्मा समुद्र है,हमें निरंतर अपने मन को अंदर की ओर ले जाना है lतब आप देखेंगे, कि सारी चिंताएं गायब हो जाती हैं और मन खाली हो जाता है l
जैसे जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आपको लगेगा जैसे आप इस दुनिया के है ही नहीं! आपको लगेगा, कि आप यहाँ किसी गांव में आये हैं, लेकिन आपका घर तो कहीं और है आपको अनुभव होगा कि आपका घर कहीं और है और आप यहाँ सिर्फ घूमने आये हैंl तब आपको पता चलेगा कि आप वास्तव में कौन है l क्या यह आपका मन नहीं है, जो आपको सारी परेशानियां देता है? ज्ञान से मन शुद्ध होता है, और एक शुद्ध मन में दिव्यता झलकती है !
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