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हिमाचल विधान सभा बजट सत्र हुआ समाप्त

                  सत्र के दौरान कुल 16 बैठकें आयोजित की गई, कुल 75 घँटे सदन की कार्यवाही चली

शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा 

हिमाचल विधानसभा बजट सत्र का आज समापन हो गया। सत्र के दौरान कुल 16 बैठकें आयोजित की गई। कुल 75 घँटे सदन की कार्यवाही चली। सत्र के अंतिम दिन सदन की कार्यवाही शांतिप्रिय ढंग से चली। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सत्र के दौरान काफी नोकझोंक देखने को मिली। विपक्ष ने सरकार को संस्थानों को बंद करने, विधायक निधि रोकने सहित कई मुद्दों को लेकर घेरने का प्रयास किया जबकि सतापक्ष की तरफ से भी विपक्ष के सवालों का मजबूती से जवाब दिया गया।

सत्र के समापन मौक़े पर विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सत्र के दौरान 639 तारांकित सवाल पूछे गए जबकि 257 आतारांकित प्रश्न पूछे गए। नियम 67 के तहत 2 चर्चाएं की गई। नियम 62 के तहत 5 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए। नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने को लेकर 1 चर्चा प्रस्ताव लाया गया। नियम 130 के तहत 7 चर्चाए की गई। 8 सरकारी विधेयक पास किए गए। नियम 324  के तहत 8 विषय सदन में लाए गए। 17 मार्च को मुख्यमंत्री ने बजट पेश किए जिसमें 52 सदस्यों ने बजट चर्चा में भाग लिया

सत्र खत्म होने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा की सत्र सोहार्द पूर्ण तरीके से खत्म हुआ है। सत्र में विपक्ष को बोलने का पुरा मौका दिया गया। कर्ज को लेकर विपक्ष पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की विपक्ष बौखलाहट में है इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री को सदन में गुस्सा आ रहा था। सरकार प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आगे बढ़ रही है। आने वाले चार वर्षों में प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लायेंगे और आगामी दस वर्षों में प्रदेश देश का सबसे शक्तिशाली राज्य होगा। सत्र के दौरान प्रदेश की आय को बढ़ाने के लिए कई विधेयक लाए गए और निराश्रित बच्चों के भरण पोषण के लिए कानून बनाया गया है।

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सत्र की समाप्ति पर कहा कि सदन में जनहित से जुड़े मुद्दे उठाए गए हैं। साथ ही सरकार द्वारा लिए गए जनविरोधी निर्णयों के ख़िलाफ़ भी आवाज बुलंद की गई है जो सदन के बाहर भी जारी रहेगी। हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब सरकार ने संस्थान बंद किए जिसकी वजह से विपक्ष को विरोध में आना पड़ा। विपक्ष सदन के बाहर भी जनता की आवाज उठाएगा। विपक्ष लोकतंत्र प्रहरी योजना को बंद करने सहित संस्थान बंद करने को लेकर सरकार को घेरता रहेगा और सरकार बनने के बाद फिर इन संस्थानों को बहाल किया जायेगा।


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