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एनसीईआरटी की नई किताबों पर एक बार फिर शुरू हुआ विवाद

   विवाद इतिहास की पुस्तकों में हुए बदलाव को लेकर हुआ, एनसीईआरटी ने बदली इतिहास की किताबें 

दिल्ली,ब्यूरो रिपोर्ट  

एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में पढ़ाया जाता था कि महात्मा गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज की वजह से हिंदू चरमपंथी नाराज हो गए थे। यह भी पढ़ाया जाता था कि गांधी की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध लगा गया था। लेकिन नई किताब में ये दोनों तथ्य गायब हैं. पुस्तक से इन अंशों को हटा दिया गया है। 

एनसीईआरटी की किताबों से गुजरात दंगों का संदर्भ भी हटाया जा चुका है। क्लास 11 के समाजशास्त्र में एक चैप्टर है- अंडरस्टैंडिंग सोसाइटी, इसमें गुजरात दंगों का संदर्भ था। इस पैराग्राफ को हटा दिया गया है. इसमें लिखा था कि किस तरह से क्लास, रिलिजिन और जातीयता अक्सर चुनिंदा आवासीय क्षेत्रों को अलग कर देता है. और फिर दंगे के दौरान उसका कितना असर होता है। जैसे 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुआ था।  

मुगलों से संबंधित कुछ अन्य अध्यायों को भी सिलेबस से निकाल दिया गया है।  ये बदलाव सिर्फ 12वीं की किताब में ही नहीं हुए हैं, बल्कि छठी से 12वीं तक की अलग-अलग किताबों में किए गए हैं।  12वीं की पॉलिटिकल साइंस से भी कुछ चैप्टर्स को हटाया गया है। जैसे- पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से दो चैप्टर्स को निकाल दिया गया। ये चैप्टर्स हैं- एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस और राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट. इसी तरह से लोकतंत्र और विविधता और लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियों पर चैप्टर हटा दिए गए हैं। 

इस बाबत जब एनसीईआरटी से पूछा गया, तो यह बताया गया कि इस तरह की मांगें राज्य शिक्षा बोर्ड से की जा रहीं थीं। इनमें उन्होंने किसी भी जाति का उल्लेख करने से बचने की सलाह दी थी।  संसद में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा था कि कोरोना के दौरान शिक्षा का जो भी नुकसान हुआ, उसे कम करने के लिए छात्रों का बोझ कम किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को और अधिक तर्कसंगत बनाया गया है। 


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