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पट्टी में मनाया गया डॉ भीम राव जी की जयंती

                               पंचरुखी के पट्टी में भी मनाई गयी डॉ भीम राव जी की जयंती 

पंचरुखी,रिपोर्ट बलजीत शर्मा 

भारत रत्न डॉक्टर भीम राव जी की 132वी जयंती पर ख्यांपट्ट पट्टी में  संसदीय सचिव व शिक्षा विभाग और शहरी विकास श्री आशीष बुटेल ने प्रतिमा का अनावरण किया ,हिमाचल में भी जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके योगदान को याद किया जा रहा है।


 डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को हमारे देश में एक महान व्यक्तित्व और नायक के रुप में माना जाता है तथा वह लाखों लोगों के लिए वो प्रेरणा स्रोत भी है। बचपन में छुआछूत का शिकार होने के कारण उनके जीवन की धारा पूरी तरह से परिवर्तित हो गयी। जिससे उनहोंने अपने आपको उस समय के उच्चतम शिक्षित भारतीय नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया और भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना अहम योगदान दिया। भारत के संविधान को आकार देने और के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर का योगदान सम्मानजनक है। उन्होंने पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय, समानता और अधिकार दिलाने के लिए अपने जीवन को देश के प्रति समर्पित कर दिया।

बाबासाहेब अम्बेडकर जी का पूरा ध्यान मुख्य रूप से दलित और अन्य निचली जातियों और तबको के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त कराने में था। भारत की आजादी के बाद वे दलित वर्ग के नेता और सामाजिक रुप से अछूत माने जाने वालो के प्रतिनिधि बने।1956 में डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन्होंने कहा की जब तक हिन्दू धर्म में ऊंच नीच का भाव रहेगा तब तक यह धर्म विकास नहीं कर सकता।डॉ बाबासाहेब अंमबेडकर के अनुसार, बौद्ध धर्म के द्वारा मनुष्य अपनी आंतरिक क्षमता को प्रशिक्षित करके, उसे सही कार्यो में लगा सकता है। उनका दृढ़ विश्वास इस बात पर आधारित था, कि ये धार्मिक परिवर्तन देश के तथाकथित ‘निचले वर्ग’ की सामाजिक स्थिति में सुधार करने में सहायता प्रदान करेंगे।




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