केंद्र सरकार ने कहा की यह है संविधान के खिलाफ
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
केंद्रीय उर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी पत्र का अध्ययन किया जाए तो इससे पता चलता है कि बिजली उत्पादन पर वाटर सेस लीगल नहीं है। कारण ये बताया गया है कि वाटर सेस नदियों के पानी से उत्पादित बिजली पर लग रहा है। इससे ग्रिड में बिजली की कीमत बढ़ रही है. केंद्रीय उर्जा मंत्री के निर्देश और उनकी सहमति से मंत्रालय के आला अफसरों ने चिट्ठी तैयार की है। ये पत्र सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजा है। जहां तक हिमाचल की बात है तो यहां सरकार की अपसरशाही के मुखिया यानी मुख्य सचिव को मंगलवार को ही ये पत्र मिला है।
केंद्रीय उर्जा मंत्रालय के पत्र के अनुसार नदियों के पानी पर सिर्फ संबंधित राज्य का ही अधिकार नहीं है। नदियों का पानी उर्जा बनाने में सारा का सारा खर्च नहीं होता, बल्कि ऐसा कहा जा सकता है कि नदियों का पानी बिजली बनाने में प्रयोग होता है. इस तरह राज्य का ही सारा हक नहीं होता। जिस तरह पवन उर्जा में केवल हवा का प्रयोग होता है। इस तरह कोई राज्य वाटर सेस नहीं लगा सकता। वहीं, एक अन्य पत्र अथवा अधिसूचना में बिजली उत्पादन में लगी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कहा गय है कि यदि राज्य सरकार कोई टैक्स लगाए तो अदालत की रुख किया जाए। इसी बिनाह पर हिमाचल की एक कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने ही बिजली या पानी पर लग रहे सेस को देखते हुए पीक आवर्स या एमरजेंसी में केंद्र की तरफ से बिजली आवंटन के लिए एक नया ऑर्डर ऑफ मेरिट बनाने का फैसला लिया था। जो राज्य अपने यहां बिजली या पानी पर टैक्स लगाते हैं, उन्हें केंद्र की तरफ से पीक आवर्स में बिजली देने में प्राथमिकता सूची में स्थान नहीं मिलेगा। फिलहाल, ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से आए नए पत्र से हिमाचल सरकार को बड़ा झटका लगा है। हालांकि राज्य सरकार पड़ौसी राज्यों के साथ चर्चा कर रही है, लेकिन केंद्र की तरफ से आए पत्रों ने स्थिति को सुखविंदर सिंह सरकार के लिए जटिल बना दिया है।
हिमाचल की नदियों के पानी से बनी बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाकर खजाने को राहत देने का सपना देख रही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को करारा झटका लगा है। ये झटका केंद्र सरकार की चिट्ठी के जारी होने से लगा है. हिमाचल में वॉटर सेस लगाने को केंद्र ने एक तरह से संविधान के खिलाफ बताया है. यानी केंद्र सरकार ने राज्य के वाटर सेस लागू करने के कदम को असंवैधानिक कहा है. मंगलवार 25 अप्रैल को ये पत्र जारी हुआ है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य सरकार ने हिमाचल की 172 जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस से संबंधित बिल पारित किया था. सुखविंदर सिंह सरकार वाटर सेस के जरिए सालाना चार हजार करोड़ रुपए जुटाने की आशा में थी। इससे पहले कि वाटर सेस को लेकर राज्य सरकार आगे की प्रक्रिया शुरू करती, पड़ौसी राज्यों पंजाब व हरियाणा ने इसे लेकर आपत्ति जता दी। पड़ौसी राज्यों की विधानसभा में इसके खिलाफ संकल्प प्रस्ताव पारित हुए। अब नई मुसीबत केंद्र की तरफ से आए पत्र ने डाली है।
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