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बच्चों के संरक्षण के लिए संवेदनशील रवैया अपनाने की जरूरत

 अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा सौरभ जस्सल की अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति की त्रैमासिक बैठक 

धर्मशाला,ब्यूरो रिपोर्ट 

 अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा सौरभ जस्सल की अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति की त्रैमासिक बैठक का आयोजन आज सोमवार को डीसी ऑफिस धर्मशाला में किया गया। एडीसी ने कहा कि बाल हितों को ध्यान में रखते हुए उनके संरक्षण में संवेदनशील रवैया अपनाने की जरूरत है। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी राजेश कुमार ने बैठक का एजेंडा प्रस्तुत किया।

बैठक में अनाथ, बेसहारा, असहाय, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के संरक्षण और विकास पर बल दिया गया। बैठक में उपस्थित शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम, पंचायत, पुलिस विभाग सहित चाइल्ड लाइन व जिला बाल कल्याण समिति ने इस दिशा में अपेक्षित कार्य करने के लिए अपने-अपने विचार सांझा कर, उनके क्रियान्वयन को लेकर सार्थक कदम उठाने की रूप रेखा तैयार की।बैठक की अध्यक्षता करते हुए एडीसी कांगड़ा डॉ. सौरभ जस्सल ने असहाय बच्चों के स्वास्थ्य जांच पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन बच्चों के नियमित अंतराल में स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जिला में संचालित सभी बाल देखबाल संस्थानों में स्वास्थ्य अधिकारी अपनी नियमित सेवाएं दें। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए रेड क्रॉस के सहयोग से विशेष स्वास्थ्य शिविर लगवाए जाएं।

एडीसी ने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के बाद इन बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने की जिम्मेदारी सबको सामुहिक रूप से लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे, विभाग उनका स्कूलों में प्रवेश करवाने के लिए विशेष अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में गैर सरकारी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से वंचित इस बच्चों को पढ़ाने के लिए गैर सरकारी संस्थाएं और शिक्षित स्वयंसेवियों को भी आगे आने चाहिए।अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि शहरी निकायों में सफाई व्यवस्था में लगे कर्मचारियों को अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए काउंसल किया जाए। उन्होंने कहा कि शहर की सवच्छता में लगे लोग अपने बच्चों को छोटी आयु में काम न करवाकर उनकी शिक्षा की ओर ध्यान दें, ऐसा परामर्श नगर निगम के अधिकारियों कों उन्हें देते रहना चाहिए।

एडीसी ने कहा कि असहाय और बेसहारा बच्चों के नशे में पड़ने की अधिक संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि इनको नशे से बचाने के लिए भी विशेष प्रयास किये जाएं। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर सीसीटीवी कैमरा से नजर रखी जाए तथा किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि पर बच्चों को ठीक से काउंसल किया जाए।एडीसी ने कहा कि देश और समाज का भविष्य बाल विकास पर निर्भर है, इसलिए बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी को गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किसी भी तरह का यौन उत्पीड़न पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फरॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट के दायरे में आता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसा मामला ध्यान में आने पर तुरन्त पुलिस को सूचना दें।

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