पालमपुर,नवीन शर्मा
94 वर्षीय स्वतन्त्रता सेनानी की विधवा की पूर्व विधायक से पुकार कव देगी मेरी पोती को नौकरी सरकार ? क्या स्वतन्त्रता सेनानियों के परिजनों को सरकारी नौकरी में मिलने वाला कोटा सरकार ने कहीं खत्म तो नहीं कर दिया है । यह विचार स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी तरलोक चन्द की पत्नी असमना देवी निवासी सुलह ने एक विशेष मुलाकात में पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार के साथ व्यक्त किये ।
स्वतन्त्रता सेनानी की विधवा का कहना है कि सन 1940 में 16 वर्ष की आयु में उनके पति ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए उसके पश्चात 1942 में आजाद हिन्द फौज में चले गये । फिर दो साल कारावास में रहे । उनकी अति सराहनीय सेवाओं के दृष्टिगत इन्हें ताम्र पदक से भी नवाज़ा गया है। स्वतन्त्रता सेनानियों की विवरणिका में दर्ज अपने पति की बहादुरी के प्रमाण पत्र को दर्शाते हुए वृद्ध असमना देवी ने पूर्व विधायक से तर्क के साथ कहा आज हम स्वतन्त्र भारत के नागरिक हैं तो इन स्वतन्त्रता सेनानियों की बदौलत है।
असमना देवी ने आशंका प्रकट करते हुए कहा कि जिस तरह प्रदेश के मुख्यमन्त्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने पूर्व मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर द्वारा चलाई लोकतंत्र के प्रहरी योजना को समाप्त कर दिया कहीं अव यह सरकार स्वतन्त्रता सेनानियों के परिजनों को सरकारी नौकरी में मिलने वाले कोटे को भी समाप्त न कर दे ।
इस भारतीय वीर नारी ने पूर्व विधायक को बताया कि उनकी पोती ने एम ए इकोनॉमिकस , वीएड तक शिक्षा ग्रहण की है। यहाँ तक कि इसने टैट की परीक्षा भी उतीर्ण कर ली है। इस तरह स्वतन्त्रता सेनानी की इस वयोवृद्ध वीरांगना ने प्रदेश के मुख्यमन्त्री एवं शिक्षा मन्त्री से जानना चाहा है कि क्या वाक्य ही सरकार ने स्वतन्त्रता सेनानियों के परिजनो को सरकारी नौकरी में मिलने वाला कोटा बन्द कर दिया है। अगर नहीं तो जव से उनकी पोती पढ लिखकर घर बैठॊ है अर्थात 2007 से आज दिन तक कितने फ्रीडम फाईटरस के परिवारों को निर्धारित कोटे के तहत नौकरियां दी गई ।
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