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धर्मशाला को मिली 15 इलेक्ट्रिक बसेस की सौगात

                                             मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखा के बस को किया रवाना 

धर्मशला,रिपोर्ट मोनिका शर्मा 

स्मार्ट सिटी धर्मशाला को मिलने वाली इन15 इलेक्ट्रिक का बसों को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू  20 अप्रैल को धर्मशाला आकर हरी झंडी दिखाने वाले हैं। पहले चरण में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत धर्मशाला को ये बड़ी सौगात दी गई हैं, जिन्हें धर्मशाला से संचालित होने वाले स्थानीय रूटों में चलाया जाएगा। इससे पहले की इन बसों को सड़कों पर उतारा जाए इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने वाले प्रशिक्षुओं की ओर से धर्मशाला के बस चालकों को इन्हें चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से हिमाचल प्रदेश को ग्रीन सिटी बनाने की दिशा में काम किया जा रहा हैं। इसको लेकर सरकार कारगर कदम भी उठा रही हैं।  प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने की दिशा में सरकार कार्य कर रही हैं, जिसकी पहली बानगी सूबे की लाइफलाइन कही जाने वाली हिमाचल पथ परिवहन निगम के बेड़ों में देखने को मिल रही हैं। अपनी इस तरह पहल के तहत प्रदेश की सुक्खू सरकार पहले चरण में स्मार्ट सिटी धर्मशाला को 15 इलेक्ट्रिक बसों की बड़ी सौगात दे रही हैं,जो कि फिलहाल शाहपुर के चंबी ग्राउंड में पहुंच चुकी हैं।

इन बसों को चार्जिंग करने के लिए खरीद से पहले ही धर्मशाला बस डिपो में एक चार्जिंग स्टेशन भी बनाया जा चुका हैं,ताकि एक बार जब बसें सड़कों पर उतर जाएं तो उसके बाद ये कहीं सुनसान जगहों पर बिना चार्जिंग के सड़कों पर खड़ी नजर न आए। जानकारी के मुताबिक एक समय में फुल चार्जिंग होने पर एचआरटीसी के ये बसें करीब डेढ सौ किलोमीटर का सफर बिना किसी रुकावट के कर सकती हैं। इसमें इंजन नहीं बल्कि हैवी किलोबाट की इलैक्ट्रिक बैट्रीज़ के साथ हैवी मोटरें इंस्टॉल हैं जो कि इन बसों को पहाड़ी सड़कों के अनुकूल बनाती हैं।

दावों के मुताबिक जहां डीजल युक्त बसें सौ किलोमीटर के सफर में अढाई हजार के तेल की खपत करती है तो वहीं इलैक्ट्रिक बस महज पांच सौ रुपए में ही ये सफर पूरा कर देती हैं। इससे एक बात तो साफ जाहिर है कि अगर ये बसें हिमाचल में सक्सेस हो जाती हैं तो जहां यहां के लोगों को सस्ते किराए में मंजिल मिल जाया करेगी वहीं इन बसों का हिमाचल को प्रदूषण मुक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा,हालांकि इन बसों की खामियां ये हैं कि इनमें सामान्य बसों की मानिद उतनी सीटें नहीं हैं जिसके तहत ज्यादा यात्री एक समय में यात्रा नहीं कर पाएंगे।

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