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कृषि विश्वविद्यालय का चने पर बेहतरीन शोध

                     डॉक्टर सुभ्रा चक्रवर्ती ने नए बताया कृषि विश्वविद्यालय चना पर उत्कृष्ट शोध कार्य कर रहा है 

पालमपुर , रिपोर्ट प्रवीन शर्मा 

चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. सुभ्रा चक्रवर्ती ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय चना पर उत्कृष्ट शोध कार्य कर रहा है!

इसके परिणाम प्रजनकों, जैव प्रौद्योगिकीविदों और किसानों को लाभान्वित करेंगे! उन्होंने बताया की जीनोमिक्स-सहायता प्राप्त कर फसल मे सुधार तेजी से लाने के लिए चने के जननद्रव्य संसाधन की विशेषता और परियोजना के सह-समन्वयक डॉ. स्वरूप कुमार परिदा ने विश्वविद्यालय का दौरा करते हुए परियोजना की प्रगति की निगरानी की है !डॉ. चक्रवर्ती ने कुलपति प्रोफेसर एचके चौधरी से चर्चा के दौरान बताया कि भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर शोध कार्य किया जा रहा है! कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान सहित पूरे भारत में पंद्रह संस्थान इस परियोजना का हिस्सा हैं!

 इस परियोजना का उद्देश्य भारत में सभी चने के जर्मप्लाज्म को चिह्नित करना और अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग के लिए जानकारी का दस्तावेजीकरण करना है, कुलपति ने टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी! उन्होंने कहा कि शोध के नतीजे गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए, डॉ. चौधरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कृषि उत्पादों की पहचान और भौगोलिक टैगिंग के सफल प्रयास किए गए हैं! जिससे राज्य के किसानों को राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिले हैं!

अनुसंधान निदेशक डा. एस.पी. दीक्षित के साथ दो सदस्यीय टीम ने मॉलिक्यूलर साइटोजेनेटिक्स और टिश्यू कल्चर लैब का दौरा किया और क्रोमोसोम एलिमिनेशन तकनीक और सिटू हाइब्रिडाइजेशन के बारे में विस्तार से बताया।



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