पधर स्थित नारला वैष्णों माता मंदिर में विष्णु महापुराण कथा के नवें दिन भगवान वामन के अवतार की कथा का वर्णन किया गया
मंडी,रिपोर्ट सोनिका ठाकुर
पधर स्थित नारला वैष्णों माता मंदिर में विष्णु महापुराण कथा के नवें दिन भगवान वामन के अवतार की कथा का वर्णन किया गया। कथावाचक ब्रह्म ऋषि महाराज ने कहा कि राजा बलि ने अपने पराक्रम और बल से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था।
जिस कारण से सभी देवी-देवताओं में हडकंप मच गया। तब राजा बलि से रक्षा के लिए सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने सभी देवी-देवताओं की रक्षा का वचन देते हुए देवमाता अदिति के गर्भ में वामन देव के रूप में जन्म लिया।
ऋषि महाराज ने कहा कि राजा बली बड़े पराक्रमी और दानी थे। भगवान के बड़े भक्त थे, लेकिन उनमें घमंड बहुत था।बली की परीक्षा के लिए वामन अवतार लेकर यज्ञ में पहुंच गए। राजा बली यज्ञ स्थल उनसे बहुत प्रभावित हुए और भगवान के आकर्षक रूप को देखते हुए उन्हें उचित स्थान दिया।अंत में जब दान की बारी आई, तो राजा बली ने भगवान के वामन अवतार से दान मांगने के लिए कहा, तब उन्होंने राजा बली से राज्य में तीन पग जमीन मांग ली।
राजा बली मुस्कुराए और बोले तीन पग जमीन तो बहुत छोटा-सा दान है।महाराज और कोई बड़ा दान मांग लीजिए, पर भगवान के वामन अवतार ने उनसे तीन पग जमीन ही मांगी।तब राजा बली ने संकल्प के साथ उन्हें तीन पग जमीन दान में देने की घोषणा की। इसके बाद भगवान वामन ने दो पग में राजा बली के पूरे राज्य को नाप दिया, लेकिन तीसरे पग के लिए राजा बली के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था।
तब भगवान ने बली से पूछा कि अपना तीसरा पग कहां रखूं।तब राजा बली ने महादानी होने का परिचय देते हुए तीसरे पग के सामने अपने आपको समर्पित कर दिया।ब्रह्म ऋषि महाराज ने कहा कि कभी-कभी लोगों का घमंड चूर करने के लिए भगवान को भी अवतार लेना पड़ा था।आचार्य ने कहा कि कभी भी धनवान होने का घमंड नही करना चाहिए।
कथा के अंत में उन्होंने कहा कि तीर्थ स्थलों में कभी भी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए। निर्वस्त्र स्नान करने से वरुण देवता का अपमान होता है। उन्होंने कहा कि बाथरूम में बंद कमरे में निर्वस्त्र होकर स्नान करना भी पाप है। इसी के चलते भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र छुपा उन्हें गलती का अहसास करवाया था।
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