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क्यों मनाया जाता है विश्व टीबी दिवस

                                टीबी  दिवस पुरे विश्व में 24 मार्च को मनाया जाता है 

ब्यूरो रिपोर्ट 

आज दुनिया काफी बीमारियों से जूझ रही है , जिसमे टीबी भी एक जानलेवा बीमारी है ! हम हर वर्ष टीबी दिवस मनाते है विश्व भर में लोग इस दिवस को मानते है ! आपको बता दे की 2021 सेन्सस के माध्यम से पता चला है की आज  विश्व में 10.6 मिलियन मतलब  95% लोग अभी भी इस बीमारी से जूझ रहे है ! हमे भारत तथा विश्व को  से मुक्त होगा हम सब को एक साथ चल के इस जड़ से खत्म करना होगा !

आपको बता दे अगर  किसी व्यक्ति को टीबी हो जाता है  तो उसका इलाज 6 महीने तक चलता है! जो लोग 6 महीने तक लगातार दवाएं खाते हैं!वह पूरी तरह ठीक हो जाते है! अगर इस बीमारी के इतिहास की बात करे तो अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिसबैक्टीरिया की खोज की थी !डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई.!

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है! डब्‍ल्‍यूएचओ की तरफ से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्‍त करने का लक्ष्‍य रखा गया है! वहीं भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से निजात दिलाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है !हर साल विश्‍व क्षय रोग दिवस के मौके पर डब्‍ल्‍यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं!

यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए  24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्‍व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई!



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