दिल्ली मे एक बार फिर अन्नदाता जुटे आंदोलन मे
दिल्ली , ब्यूरो रिपोर्ट
तीन साल बाद एक बार फिर देश के विभिन्न राज्यों से हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे हैं। रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले किसानों की महापंचायत चल रही है। इसमें एसकेएम नेताओं ने केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट-समर्थक “विकास” की निंदा कर रहे हैं, उनका आरोप है कि यह कृषि आय को कम कर रहा है और कॉर्पोरेट लाभ के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने के लिए है।
एसकेएम ने कई बार स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित ऐजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वादा किया गया था।
आंदोलन कर्ताओ की मांगे है जो वह सरकार तक पहुंचाना चाहते है । कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80% से अधिक किसान कर्ज में डूब चुके हैं ।और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी की मांग करता है। संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने एसकेएम को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा के साथ विमर्श के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे बिना किसी चर्चा के संसद में पेश कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराता है।
किसानो ने पिछले वर्ष भी काफी आंदोलन किया था । जिसमे काफी किसानो की मौत भी हो गयी थी । किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी है । किसानो को काफी मेहनत करनी पड़ती है ।काफी बार हम सुनते है की किसान आत्महत्या कर लेते है क्यों की वह खेती के लिए ऋण लेते है । और अगर उस फसल का दाम गिर जाए तो ऋण भरना मुश्किल हो जाता है ।
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