जिला कांगड़ा में स्कूली बसों में बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करवाने के लिए बनी कमेटी की बैठक का आयोजन मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय में किया गया। डीसी कांगड़ा डाॅ. निपुण जिंदल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को स्कूली बसों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े तमाम पहलूओं पर नजर रखने के निर्देश दिए। इस अवसर पर एसपी कांगड़ा डाॅ. खुशाल शर्मा, आरटीओ प्रदीप कुमार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। उपायुक्त ने बताया कि स्कूल के बच्चों को घर से लाने और छोड़ने के लिए उपयोग में लाई जा रही गाढ़ियों में रोड सेफटी से संबंधित सभी मानकों का पालन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इन गाढ़ियों में रोड सेफटी से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने और संचालकों को इसके संबंध में जागरुक करने हेतु 27 फरवरी से 4 मार्च तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत सभी पक्षों को जागरूक करने के लिए प्रशासन के साथ पुलिस, शिक्षा और परिवहन विभाग स्कूली बसों में सुरक्षा व्यवस्थाओं को देखेंगे।
उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को लाने वाली गाढ़ियों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन गाढ़ियों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े किसी भी मामले में ढील बर्दाशत नहीं की जाएगी तथा नियमों का उलंघन करने वाले के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों की अनुपालना के लिए बनी गाइलाईन मोनिटरिंग कमेटी इस सभी मानकों पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि इसमें स्कूल प्रबंधन, अभिभावक, पुलिस, परिवहन और स्कूली शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए विभाग ने वाहनों के लिए जो विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं, उनका अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
इन दिशा-निर्देशों का हो अनुपालन
उपायुक्त ने बताया कि स्कूल के बच्चों को ले जाने वाली बसों के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन करना अति आवश्यक है। जिनमें स्कूली बसें में पीले रंग का पेंट, बसों के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में ‘स्कूल बस’ लिखना, विद्यालय-कॉलेज के लिए उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नही बिठाए जाना, अनिवार्य रूप से फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था, प्रत्येक बस में ‘अग्नि शमन यंत्र’ की व्यवस्था होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर, बच्चों को लाते-ले जाते समय एस्कॉर्ट के रूप में बस में एक व्यक्ति हो और यदि बस में छात्राएं हों तो महिला शिक्षिका की उपस्थिति हो। इसके साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक को भी बस मे यात्रा कर सुरक्षा मापदंडो को जांचना चाहिए और साथ ही वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल बसों में दो कैमरे अनिवार्य रूप से चालू स्थिति में हों, जिसमें एक कैमरा आगे की ओर तथा एक कैमरा पीछे की ओर होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त भी बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सभी मानकों का पूरा पालन होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों की अनुपालना के लिए बनी गाइलाईन मोनिटरिंग कमेटी इस सभी मानकों पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि इसमें स्कूल प्रबंधन, अभिभावक, पुलिस, परिवहन और स्कूली शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए विभाग ने वाहनों के लिए जो विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं, उनका अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
इन दिशा-निर्देशों का हो अनुपालन
उपायुक्त ने बताया कि स्कूल के बच्चों को ले जाने वाली बसों के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन करना अति आवश्यक है। जिनमें स्कूली बसें में पीले रंग का पेंट, बसों के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में ‘स्कूल बस’ लिखना, विद्यालय-कॉलेज के लिए उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नही बिठाए जाना, अनिवार्य रूप से फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था, प्रत्येक बस में ‘अग्नि शमन यंत्र’ की व्यवस्था होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर, बच्चों को लाते-ले जाते समय एस्कॉर्ट के रूप में बस में एक व्यक्ति हो और यदि बस में छात्राएं हों तो महिला शिक्षिका की उपस्थिति हो। इसके साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक को भी बस मे यात्रा कर सुरक्षा मापदंडो को जांचना चाहिए और साथ ही वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल बसों में दो कैमरे अनिवार्य रूप से चालू स्थिति में हों, जिसमें एक कैमरा आगे की ओर तथा एक कैमरा पीछे की ओर होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त भी बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सभी मानकों का पूरा पालन होना चाहिए।
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