पालमपुर, रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के बजट के लिए 15 फरवरी 2023 तक ईमेल के माध्यम से सुझाव मांगे गए हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए एग्रीविजन कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा ऑनलाइन माध्यम से कृषि विश्वविद्यालय के बजट को बढ़ाने हेतु सुझाव भेजा गया। एग्रीविजन हिमाचल प्रदेश सह संयोजिका नितिका ठाकुर ने बताया की एग्रीविजन का गठन 2015 में पशु चिकित्सा, डेयरी, बागवानी, गृह विज्ञान, रेशम उत्पादन, मत्स्य पालन, वानिकी और अन्य संबद्ध विज्ञानों सहित कृषि विज्ञान के छात्रों के लिए एक खुशहाल, स्वस्थ और लाभदायक पर्यावरण अनुकूल माहौल बनाने के उद्देश्य से किया गया था। इसी प्रकार से एग्रीविजन हिमाचल प्रदेश की एक इकाई प्रदेश के एक मात्र सरकारी कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में भी छात्रों के कल्याण के लिए कार्यरत है।
उन्होंने बताया की वर्ष 2017 से विद्यार्थी नियमित रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन को बुनियादी ढांचे के विकास (व्याख्यान थिएटर, प्रयोगशालाओं, छात्रावास, वाशरूम) और वि० वि ० में ली जा रही अत्यधिक फीस को कम करने की मांग को लेकर पत्र लिख रहे हैं, और आंदोलन भी किए गए हैं परंतु हर बार यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा यह कहकर विद्यार्थियों की आवाज को दबा दिया जाता है की वि ०वि० को
हिमाचल प्रदेश सरकार सरकार से पर्याप्त अनुदान नहीं दिया जा रहा है। इसलिए वि०वि० प्रशासन
छात्रों को ये सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं है और इसी लिए विद्यार्थियों पर एसएफएस फीस के नाम का आर्थिक भोज डाला जा रहा है।
यदि बात करें अन्य उत्तरी भारत के कृषि विश्वविद्यालयों के बजट की जैसे पंजाब
कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) जिनका सालाना प्रदेश सरकार द्वारा बजट
हमारे विश्वविद्यालय की तुलना में लगभग तीन या चार गुना ज्यादा है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बताया गया की कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर को हिमाचल सरकार द्वारा मात्र 126 करोड़ प्रति वर्ष दिया जाता है जो पूरा का पूरा वेतन और पेंशन के लिए ही उपयोग हो जाता है। जिस कारण विश्वविद्यालय प्रशासन अपने तीन मैंडेट (अनुसंधान, शिक्षण और विस्तार) को प्रभावी ढंग से पूरा करने में असमर्थ है।
वर्तमान में स्थिति इतनी खराब है कि जो छात्र मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखता है या आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के लोग इस विश्वविद्यालय में पढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते। लाखों रुपए की फीस देकर भी कृषि विश्वविद्यालय में बच्चों को रहने के लिए हॉस्टल और पढ़ने के लिए पर्याप्त लेक्चर थिएटर ( क्लासरूम) तक नहीं है।
कृषि विवि की इन समस्याओं का समाधान आगामी बजट में अनुदान राशि बढ़ाना है। इसीलिए आगामी बजट के लिए सरकार द्वारा आम लोगों से मांगे गए सुझावों के फैसले का स्वागत करते हुए एग्रीविजन कृषि विश्वविद्यालय द्वारा यह सुझाव भेजा गया है । एग्रीविजन हि० प्र ० सह संयोजिका नितिका ठाकुर ने कहा कि वे आशा करते हैं कि सरकार कृषि वि० वि ० के छात्रों की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वि० वि० के बजट को कम से कम 20% तक बढ़ाएगी जिससे कृषि वि०वि० के रुके हुए विकास कार्यों को गति मिलेगी और छात्रों पर से आर्थिक बोझ भी कम होगा।
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