ड्रोन प्रौद्योगिकी के महत्व पर दो दिवसीय सेमिनार में बोले कुलपति
पालमपुर, रिपोर्ट
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच. के. चौधरी ने कहा कि ड्रोन तकनीक कृषि में बहुत तेज गति से उभर रही है।अगले पांच वर्षों में कृषि क्षेत्र के दुनिया में ड्रोन का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता होने की संभावना है। कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग पर एक सेमिनार के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में लुधियाना में इंडिया एग्री प्रोग्रेस एक्सपो के उद्घाटन समारोह के दौरान कुलपति ने शनिवार को ड्रोन प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह मिट्टी और क्षेत्र विश्लेषण, फसल निगरानी, कीट और रोग नियंत्रण के लिए फसलों पर छिड़काव, पोषक तत्वों के अनुप्रयोग आदि में समय कम करने और दक्षता बढ़ाने में मदद कर सकता है।
प्रो चौधरी ने खेती में भविष्य की तकनीकों, विभिन्न फसलों में ड्रोन के माध्यम से स्प्रे के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता, रिमोट सेंसिंग तकनीक की भूमिका और
मोटा अनाज के इस अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के दौरान उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए पालमपुर विश्वविद्यालय की विस्तृत
योजनाओं पर भी बात की उन्होंने सराहना की भारतीय कृषि
अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई,अटारी) और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी का आयोजन किया।
उन्होंने देश भर से बड़ी संख्या में
निर्माताओं और फर्मों की भागीदारी के साथ प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए पंजाब स्टेट एग्रीकल्चरल
इम्प्लीमेंट्स एसोसिएशन और कृषि मशीनरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की भी सराहना की और नई तकनीक की उपयोगिता के बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए उन्हें पालमपुर विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया।
उप महानिदेशक आईसीएआर डाक्टर.एस.एन. झा समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। अटारी के निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि दो दिवसीय एक्सपो में बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, विस्तार एजेंसियां, नीति निर्माता, मशीन
निर्माता और किसान भाग ले रहे हैं।
0 Comments