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सरकार के सचिवालय की गणेश परिक्रमा करने वाले कर्मचारी नेता उपलब्धियों तथा भविष्य में कर्मचारियों के लिए किए जाने वाले कार्यो को कर्मचारियों में ले जाएं:काली दास

 पालमपुर, रिपोर्ट 
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पुर्व प्रदेशाध्यक्ष काली दास ने सरकार वदलने के साथ ही मुख्य मन्त्री,  मन्त्रियों व हिमाचल प्रदेश सरकार के सचिवालय  की गणेश परिक्रमा करने वाले उन कर्मचारी नेताओं व महा नेताओं  से आग्रह किया है कि परिक्रमा करना छोड़कर अपनी आज तक की कर्मचारियों के पक्ष में किए गए कार्यों की उपलब्धियों तथा भविष्य में कर्मचारियों के लिए  किए जाने वाले कार्यो को ले कर्मचारियों में जाएं। 
उन्होंने कहा की अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को छोड़कर कर्मचारियों के 4-9-14 के लाभ जो मिलना चाहिए,   कर्मचारियों के भत्ते जो 2006 वाले ही मिल रहे हैं, नये पे स्केल में कर्मचारियों के जिस वर्ग का नुकसान हुआ है और मजबूरन 15% वाला विकल्प देना पड़ा।  जिस कारण अन्य वर्गों का लाखों रुपए का एरियर्स वना परन्तु इनका एक रूपया भी नहीं वना। पे कमीशन 2006 का 2012 में जो भूल सुधार किया गया था व जिस कारण वर्तमान पे कमीशन में जो विसंगति पैदा की गई है ,उसके उपर काम करें। इसके अतिरिक्त भी वहुत सारी विसंगतियां हैं जिनको दूर करने के लिए आप क्या करेंगे। 
आपने अपने समय में क्या किया है। यहां तक कि 2-2 वर्ष तक कर्मचरियों की पदोन्नतियां वोलने के वाबजूद भी नहीं होती हैं। जोकि एक नियमित कारय है।कर्मचारियों को पहचानते तक नहीं। कर्मचारियों के नेता और डी0 ए0 ही सुपर सी0एम0 वने होते हैं। केवल और केवल ट्रांसफरों तक ही सीमित रहते हैं। अपनी उपलब्धियां व एजेण्डा ले कर कर्मचारियों में जाएं । कर्मचारयों के चुनाव खण्ड स्तर, उपमंडल स्तर तथा जिला स्तर पर वोटिंग के द्वारा करवाने के वाद राज्य स्तर पर करवाएं। तव जा कर पता चले गा कि कौन-कौन कर्मचारियों का शोषण करने में व्यस्त रहे, कौन परिक्रमा में व्यस्त रहे। जो नेता अपने कैडर के हित सुरक्षित नही रख पाए , कभी दो लाईन की न्युज नहीं लगा पाए वे अव परिक्रमा के साथ-साथ रिस्तेदारियां निकाल रहे हैं। अगर उपर वताई गई प्रकिया से कोई चुन कर आता है तो उसे सरकार से मान्यता मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कर्मचारी साथ होंगे तो सरकार अपने आप वुला मान्यता देगी और  जायज मांगे भी पूरी करेगी। अन्यथा करते रहो परिक्रमा। कर्मचारी हित सर्वोपरि होने चाहिए।

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