अपनी भेजी गई रिपोर्ट में क्या कहा एम.सी. जैन समाज सेवक ने
शिमला, प्रवीण शर्मा
हिप्र मे फार्मा माफिया गिरोह पनप रहे है। नशे की दवाओ, एक्सपोर्ट मे नकली दवाए, जहरीली दवा और बिना मापदंडो के कार्य को हिप्र ड्रग अथोरिटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने का तंत्रजाल कायम किया गया है। रिकार्ड खुर्द बुर्द कर दिए जाते है। डब्ल्यु एचओ जीएमपी और एक्सपोर्ट के लिए सीओपीपी की अनुमतियो के लिए 20 से 50 लाख रुपये की रिश्वत निर्धारित है। ड्रग कंट्रोलर द्वारा ऐसी ऐसी दवा कम्पनियो को दवाए बनाने के लाईसैंस दिए है जो मानक पूरे नही करती। बद्दी मे कम से कम 50 ऐसी कम्पनीज है, जो अपने मानक पूरे नही करती और उनके रोजाना सैम्पल फैल होते है। रिश्वतखोरी प्रकरण के चलते सभी गलत काम किए जा रहे है। ड्रग कंट्रोलर बद्दी नवनीत मारवाह भ्रष्टाचार के चलते एक हजार करोड से भी अधिक काले धन का मालिक बन गया है।
मुख्यमंत्री हिप्र को भी इस प्रकरण बावत शिकायत की गई है। ड्रग कंट्रोलर भारत सरकार ने 1 सितम्बर को हिप्र सरकार को एक पत्र प्रेषित किया है जिसमे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस मामले मे कार्यवाही का अधिकार क्षेत्र स्वास्थय सचिव को करार देकर जांच बावत कहा गया है। एक शिकायती पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया है। जिसमें ड्रग माफिया की सांठ गांठ के गंभीर आरोपों की पूरी लिस्ट पीएम को भेजी गई है। बीते 28 अप्रैल 2022 को पीएमओ से इस शिकायती का रिसीव प्रति भी शिकायतकर्ता को भेजी गई है। इस पत्र की प्रति शिकायतकर्ता एमसी जैन ने राष्ट्रपति, सु्प्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, निदेशक सीबीआई, निदेशक ईडी व हिमाचल के राज्यपाल के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व अन्य मंत्रियों समेत कुल 23 अधिकारिक क्षेत्रो को प्रेषित की है। बीते 5 मई को पीएमओ से जांच बावत यह चिट्ठी मुख्य सचिव हिप्र को भेजी गई। बीते 4 जून 2022 को प्रधानमंत्री मोदी को दोबारा शिकायत पत्र प्रेषित किया। जिसमे जानकारी का अधिक विस्तार करते हुए नई दवाओ को दी जाने वाली अवैध अप्रूवल और कम्पनियो का नाम सहित ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है। नारकोटिक्स विभाग और राजनेताओ से सम्बंधो का हवाला देकर ब्लैक मेलिंग की जाती है। भारी भरकम रिश्वत की राशी देने वाले उद्योगपति द्वारा तैयार की जाने वाली दवाओ की गुणवत्ता का संदेह के दायरे मे है। आरोप के मुताबिक इस अवैध उगाही मे एमसी फार्मा पांवटा साहिब के केयर टेकर के. चंद्रु, सिम्बोसिस फार्मा का मालिक जगबीर सिह, स्कोट आईडियल बद्दी के मालिक संजीव गोयल और रोयल एप्पल बद्दी का ट्रेडर पंकज कपूर समेत धर्मशाला स्थित एक आश्रम संचालक पत्रकार प्रत्यक्ष तौर पर संलिप्त है। तमाम प्रकरण के कैंद्र बिंदु निम्नलिखित है।
१. काला आम्ब स्थित मिक्सी लैब्रोट्री मे 18 लोन लाईसेंस है। इस कम्पनी की निमाणित दवाईयो से हाल ही मे पीजीआई चंडीगढ मे पांच बच्चो की मृत्यु हो गई। जिसमे खूब हो हल्ला मचा। लेकिन दो ही दिन मे सब कुछ अरेंज कर लिया गया। और प्रकरण को बडी ही सफाई से दबा दिया गया। सूत्र बताते है कि इस प्रकरण मे 50 लाख रुपये अकेले ड्रग कंट्रोलर को बतौर रिश्वत दी गई। किसी भी अन्य राज्य मे दवाईयो से मौत का कोई प्रकरण सामने नही आता लेकिन सिर्फ हिप्र मे बनने वाली दवाईयो से आए दिन बच्चो की मृत्यु की खबरे प्रकाश मे है। इस कम्पनी को भारत सरकार के ड्रग विभाग के अंतर्गत पूरे भारत के लिए रेड अलर्ट घोषित किया है। लेकिन हैरानी है कि हिप्र ड्रग विभाग द्वारा मात्र इस कम्पनी की सम्बंधित दवा को ही प्रतिबंधित किया गया। जबकि स्पष्ट तौर पर इस कम्पनी की तकनीक हाईजैनिक व्यवस्थाओ के अनेक मापदण्डो मे भारी कमी है। इस विषय मे मानवाधिकार आयोग को पत्र प्रेषित किया जा रहा है। (कापी सलग्न है)
२. एक अन्य उद्योग डिजिटल विजन काला आम्ब की जहरीली कफसिरप दवा के उपयोग से जम्मु मे 15 बच्चो की मृत्यु हो गई थी। मानवाधिकार आयोग ने मामला पंजीकृत किया। ड्रग कंट्रोलर जम्मु मे एफआईआर दर्ज की गई। मिडिया मे भी खूब हल्ला मचा। लेकिन हिप्र ड्रग कंट्रोलर विभाग के तहत कोई भी कार्र्वाई नही की गई।
३. हालिया प्रकरण मे ओरिसन फार्मा काला आम्ब मे नारकोटिक्स विभाग और पंजाब पुलिस ने दबिश दी और नशे की खेप सात सौ किलोग्राम पकडी गई, पंजाब नारकोटिक्स ने एनडीपीएस मे मामला दर्ज किया । करीब डेढ माह यह फैक्ट्री इस कार्र्वाई मे बंद रही। इसके अलावा डीजीपी हिप्र के अंतर्गत भी कार्र्वाई अमल मे लाई गई और इस फैक्ट्री को बंद करने बावत नियमो का हवाला पेश किया गया। लेकिन ड्रग विभाग हिप्र द्वारा मिली छूट से यह फैक्ट्री लगातार कार्यरत है। अहम है कि नशे की सात करोड गोली पकडी गई। एनसीबी द्वारा मुकद्दमा दर्ज है। हैरानी है कि हिप्र मे कोई मुकद्दमा दर्ज नही है। करीब दो माह पूर्व जब इस प्रकरण मे कार्र्वाई की जवाब तलबी को लेकर एक आरटीआई दायर की गई तो विभाग ने नाममात्र की कार्यवाही दर्शाते हुए कम्पनी द्वारा बनाए जाने वाली नशे की दवा को सस्पेंड कर दिया और खाना पूर्ती दर्शा दी।
४. वर्ष 2019 मे ओरिसन फार्मा कपनी धारक के करीबी सम्बंधी स्कोट आईडियल बद्दी के मालिक संजीव गोयल का एक्सपोर्ट व्यापार मे एक सैम्पल फेल हो गया, जिसकी वजह से तत्कालिन स्वास्थय मंत्री हिप्र विपिन परमार को अपने पद से त्यागपत्र देना पडा था। इस प्रकरण मे ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह की भूमिका करोडो रुपये के लेन देन मे संदेहास्पद रही। जिस देश से यह सैम्पल फेल घोषित किया था, उम्होने भारत सरकार से इस विषय मे जांच बावत जवाब तलबी की, लेकिन इस विषय मे मंत्रालय द्वारा कोई जवाब नही दिया गया। तत्कालिन मंत्री विपिन परमार द्वारा कडी कार्र्वाई के आदेशो के बावजूद कार्र्वाई नही की गई और परिणामस्वरुप विपिन परमार को अपना ईस्तीफा देना पडा।
५. ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया द्वारा रिसर्च प्रोडक्ट दवाईयो को बनाने की अप्रूवल का विधान निहित है। नियमानुसार एक से दो वर्ष बाद जब यही रिसर्च प्रोडक्ट दवा बाजारो मे पुरानी हो जाती है तो यह अप्रूवल राज्यो के ड्रग कंट्रोलर द्वारा प्रदान की जा सकती है। सूत्रो के अनुसार हिप्र मे ड्रग कंट्रोलर हिप्र द्वारा नियमो को ताक पर रख कर यह अप्रूवल कारीब 20 से 25 लाख की निर्धारित रिश्वत की एवज मे प्रदान की जाती रही है। इसी तकनीकी खामी का लाभ उठा कर इस अप्रुवल की कापी केवल सम्बंधित उद्योग को दी जाती है। और सरकारी रिकार्ड मे यह अप्रूवल की कापी नही लगाई जाती। और एक से दो वर्ष के भीतर यह ड्रग अधिकारिक तौर पर सम्बंधित उद्योग द्वारा सार्वजनिक की जाती है।
६. एक नियम के मुताबिक ‘किसी को अगर किसी ड्रग की परमिशन लेनी है तो उसे उक्त सम्बंधित ड्रग का टेक्नीकल डाटा जुटाना होता है। ड्रग उद्योग जो पहले से ही किसी भी दवा का निर्माण कर कर है, उनसे ही सम्बंधित दवा का तमाम ब्यौरा जुटाने के बाद दवा बनाने हेतु अनुमति प्राप्त किए जाने का नियम है। एमसी फार्मा ने स्टेबल्टी स्टडी डाटा ब्राईट हैल्थ केयर को 80 ड्रग प्रोडक्ट का डाटा मुहैया करवाया। जिसके लिए ड्रग विभाग को करीब 30 लाख की रिश्वत प्रदान की गई। इस प्रकरण मे अहम यह है कि जो ड्रग डाटा एमसी फार्मा ने प्रदान किया स्वय इस उद्योग के पास सम्बंधित दवा बनाने की अनुमति ही नही है। इस प्रकार के भ्रष्टाचारिक मामले इस लिए पनप रहे है कि तमाम चक्रव्युह मे दो या तीन ही मुख्य किरदार होते है। निरिक्षण प्रावधान के अंतर्गत ड्रग इंस्पैक्टर से विभागीय दबाव बना कर जबरन रिपोर्ट बनवा ली जाती है।
७. जबरन उगाही के तंत्र मे पावंटा और काला आम्ब का सारा गोरख धंधा सिम्बोसिस फार्मा का मालिक जगबीर सिह देखता है। इस आरोपित की चार फार्मा कम्पनिया है। वर्ष 2012-13 मे छोटी सी कम्पनी पार्टनरशिप मे चलाते हुए आज चार कम्पनियो का मालिक है, जिसमे ओविएशन रेमेडिज, साई टैक काला आम्ब और एक अन्य कम्पनी शामिल है। तकनीकी तौर पर भ्रष्टाचार का आलम यह है कि उक्त प्रत्येक कम्पनी के पास 18-18 लोन लाईसेंस है। लोन लाईसेंस प्रक्रीया फार्मा को ऐसे समझ सकते है जैसे उदाहरण के तौर पर एक तो होता है थर्ड पार्टी मैंयुफैक्चरिंग उसमे कोई लाईसेंस नही होता। लोन लाईसेंस से उसी सम्बंधित कम्पनी का नाम मैंयुफैक्चरिंग मे आता है। उत्पादक का नही। इस प्रक्रीया मे क्षेत्र विशेष निश्चित किया जाता है । जैसे 1200-1500 स्कैयर फिट एरीया लोन लाईसेंस धारक कम्पनी को मुहैया करवाया जाता है। और यह रिकार्ड मे आयेगा कि लोन लाईसेंस मुख्य धारक दुसरी कम्पनी को कितने घंटे की शिफ्ट प्रोडक्शन हेतु प्रदान कर रहा है। मशीने सिम्बोसिस, ओविएशन या साईटेक की प्रयोग होती है। भ्रष्टाचार का तकनीकी बिंदु यह है कि एक एक कम्पनी के पास 18-18 लोन लाईसेंस है। सवाल यह उठता है कि क्या 15-15 मीनट के लिए फैक्ट्री किराए पर दी जाती है। यह केवल नम्बर दो के पैसे को एक नम्बर बनाने के लिए एक तंत्र सरंचना स्थापित की गई है। यह जगबीर सिह साईटेक का भी मालिक है। जिसको एक मामले मे माननीय न्यायालय द्वारा सजा दी गई है। लेकिन इसके बावजूद ड्रग कंट्रोलर की दलाली के कारण इसका धंधा खूब फल फूल रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि इस व्यक्ती ने मिक्सी लैब्रोट्री (जिस कम्पनी की निमाणित दवाईयो से हाल ही मे पीजीआई चंडीगढ मे पांच बच्चो की मृत्यु हो गई थी) से लोन लाईसैंस लिया हुआ है। यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से जुटाई गई है। (कापी सलग्न है)
८. जब डब्ल्युएचओ या किसी अन्य निरिक्षण की बात होती है तो ड्रग कंट्रोलर हिप्र के अधिनस्थ निरिक्षण रिपोर्ट बनवाना मारवाह के अपने हाथ की बात है। अहम है कि किसी भी दवा निर्माता पर अगर 50 ओबजेक्शन लगाए भी जाते है तो मिलीभगती से यह तमाम ओबजेक्शन एक ही रात मे ठीक किए जाने का दावा किया जाता है। सवाल यह है कि आखिर एक ही बार मे 50 ओबजेक्शन कैसे ठीक हो जाते है। पावंटा साहिब, लाका आम्ब और बद्दी औद्योगिक क्षेत्रो मे इस प्रकार के सैंकडो उदाहरण है। इस कृत्य मे बतौर रिश्वत पेयमेंट क्लेकशन का जिम्मा उक्त आरोपित पंकज कपूर निवासी पंचकुला के अधीन है।
९. कई राज्यो से ब्लैकलिस्टेड सनवैट फार्मा काला आम्ब को लगातार सैम्पल फैल होने के बावजूद ड्रग कंट्रोलर द्वारा क्लीन चिट दी गई है। हिप्र मे दवाई के टैंडर के सिलसिले मे तमीलनाडू मेडीकल कोर्पोरेशन द्वारा हालिया एक निरिक्षण किया गया। जिसका विवरण कारपोरेशन की वेबसाईट पर मौजुद है। इस प्रक्रीया के अनुसार 25 फैक्ट्रियो का निरिक्षण किया गया। जिसमे 7 फैक्ट्रिया हाईजेनिक नही पाई गई और जीएमपी मापदंडो के मुताबिक संचालित ही नही है। जबकि राज्यो के तहत मापंडो मे फैल उक्त कम्पनियो को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता के सेर्टीफिकेट बांटे जा रहे है। नियमो को ताक पर रख कर हिप्र की ड्रग अथोर्टी इन कम्पनियो को डबल्युएचओ तक का प्रमाणिकरण दे रही है।
१०. काला अम्ब स्थित एथेंस लैब ब्युरो फार्मा पब्लिक सैक्टर अंडरटेकिंग ने दिल्ली मे वीवीआईपी दवा वितरण मूवमेंट के तहत एक सेल काउंटर लगाया, यह फर्म 2006 मे शुरु हुई थी, जबकि इस कम्पनी ने 2001 का लाईसैंस बनवा कर दर्शाया। भारत सरकार के अंतर्गत कडी कार्यवाही अमल मे लाए गई और एफआईआर दर्ज करने के साथ यह कम्पनी ब्लैकलिस्टेड घोषित की गई। लेकिन ड्रग अथोरिटी ने इस कम्पनी को लगातार क्लीन चिट दी, और इस कम्पनी का व्यापार धडल्ले से जारी रहा। लगभग चार माह पूर्व ड्रग अथोरिटी ने इस कम्पनी को प्रोडक्शन रोकने बारे एक नोटिस दिया, ड्रग इंस्पैक्टर ने 35 ओबजेक्शन लगाए, लेकिन रिश्वत प्रकरण के चलते तीसरे दिन ही यह फैक्ट्री दोबारा से शुरु हो गई। रिश्वत के खेल का लेन देन पंजाब के जीरकपुर मे किया गया।
११. सुचना के अधिकार के अंतर्गत जुटाई एक जानकारी मे सामने आया है कि पिछले 7 वर्ष मे हिप्र के भीतर 32 हजार सैम्पल फैल है और 218 केस रजिस्टर्ड है। जिन लोगो के 2018 मे सैम्पल लिए गए उनको 2019 मे मात्र एक नोटिस दिया गया और फेल हुई दवाई बावत एक माह का निलम्बन दर्शा कर खाता भरपाई की गई। तकनीकी तौर पर दवा के सैम्पल फैल होने के जवाब मे मौसम और वातावरण के तापमान मे असंतुलन की बात कही जाती है। ऐसे मे सवाल यह पैदा होता है कि हिप्र मे बनने वाली दवा केवल हिप्र मे ही बेची जानी है दुसरे राज्य मे नही।
१२. बीते कोरोना काल मे हैल्थ बायोटेक कम्पनी बद्दी का मात्र एक्सपोर्ट की अनुमति के तहत ब्लैक मार्केट हेतु चर्चित इंजेक्शन रेमेडीसिवर के करीब दो हजार इंजेक्शन च्न्डीगढ के एक होटल से पुलिस ने बरामद किए, यह इंजेक्शन 20-20 हजार रुपये तक की ब्लैक मे बेचा जा रहा था। इस प्रकरण मे फोटोग्राफ तक प्रकाशित हुए और एफआईआर भी दर्ज हुई। लेकिन यहा हिप्र मे कार्र्वाई का अभाव रहा। ड्रग अथोरिटी की मेहरबानी से कम्पनी आज भी धड्ल्ले से चल रही है।
१३. बद्दी मे हिम मेडिकल नाम से एक छोटे अखबार मे कार्य करने वाले उमेश पराशर को ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने अपनी काली कमाई से फंडिंग कर दवा उद्योग खुलवा दिया।
१४. दिसम्बर 2019 से ड्रग कंट्रोलर मारवाह के सम्पर्क मे आए रोयल एप्पल बद्दी का ट्रेडर पंकज कपूर अचानक रातो रात फर्श से अर्श पर कैसे पहुंच गया। आज वह सन सीटी पंचकुला मे करीब डेढ करोड राशी के फ्लैट का मालिक है साथ ही 45 लाख फार्च्युनर कार एचपी 37 एच 0003 और एक लैंटस कार के अलावा एक अन्य महंगी गाडी है। उक्त पंकज कपूर को ड्रग कंट्रोलर मारवाह द्वारा रा मैटेरियल सप्लायर का काम दिलवाया गया। इस अवैध उगाही के धंधे मे दवा उद्योगो को ड्रग अप्रूवल की एवज मे उक्त पंकज कपूर की कम्पनी से रा मैटेरियल खरीदने बावत ब्लैकमेल किया जाता है। एक रा मैटेरियल स्प्लायर और ड्रग कंट्रोलर की रात दिन की नजदिकिया सार्वजनिक तौर पर विद्यमान है।
१५. सर्विस रुल्स के मुताबिक ड्रग कंट्रोलर मारवाह बिना अनुमती अपने कार्यक्षेत्र हैडक्वाटर के 6 किमी दायरे से बाहर नही जा सकते। मारवाह ने बद्दी मे 6 हजार रुपये किराए पर निवास दर्शाया है । लेकिन प्रदेश राज्य प्रशासन की आंखो मे धूल झोंककर प्रतिदिन अपने सैक्टर 35 मे 450 नम्बर दो मंजिला कोठी मे अपने परिवार सहित रहते है। हैरानी की बात यह है कि मारवाह ने यह कोठी मात्र तीन हजार प्रतिमाह किराए पर दर्शाई है। चंडीगढ के इस पाश क्षेत्र मे तीन हजार रुपये की एवज मे किराए पर भी कमरा नही मिलता। इस प्रकरण से इस आशंका को बल मिलता है कि रोजाना की गई उगाही का काला धन चंडीगढ से ठीकाने लागाया जाता है।
१६. सैक्टर 44 रामा प्रोपर्टीज चंडीगढ भी इस गिरोह का हिस्सा है । काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए इस फर्म का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। मुल्लापुर, पालमपुर और खन्ना समेत बहुतेरे शहरो मे पांच्ज सौ करोड से भी अधिक राशी की लागत से बैनामी जमीन और मकान खरीद फरोख्त किए जाते रहे है।
१७. ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह द्वारा सामाजिक परिदृश्य मे पेश की जाने वाली धनाढ्य पारिवारिक तस्वीर वास्तविकता के बिल्कुल उलट है। आपराधिक पृष्ठभूमी मे शामिल नवनीत मारवाह के पिता पर 302 आईपीसी का मामला दर्ज था।
१८. नवनीत मारवाह की बेटी की शादी हुई जिसके लिए 1500 कार्ड उद्योगपतियो को भिजवाए गए। इन उद्योगपतियो के लिए 35 कमरे बोकार्ड लिमिटेड कम्पनी बद्दी द्वारा दिल्ली मे बुक करवाए गए। 15 टैक्सी इनोवा गाडी स्कोट आईडियल बद्दी के मालिक संजीव अग्रवाल द्वारा करवाई गई। शराब का इंतेजाम एडले फार्मा उद्योगपती विजय बत्रा द्वारा करवाया गया। विजय बत्रा की उजबेकिस्तान मे दवाई की फैक्ट्री है जहा से हवाला के जरिये विदेशो मे हिप्र से वसूली रिश्वत की काली कमाई के करोडो रुपया ट्रांसफर किया जाता है। उद्योग की मजबूरी है कि दवा उद्योग चलाने के लिए गलत काम करना पडता है। बेटी की शादी मे खास तौर पर उद्योगपतियो के लिए शगुन के तीन मुल्य सवा एक लाख, सवा दो लाख और सवा पांच लाख के मूल्य निर्धारित किए गए थे। उस समय ड्रग इंपेक्टर उमेश पराशर ने इस शगुन वसूली मे अहम भुमिका निभाई। इस शादी के लिए एक फार्मा कम्पनी बद्दी ने दिल्ली के एक फाईव स्टार होटल मे 18 कमरे बुक करवाए थे। जीरकपुर मे लेडीज संगीत के लिए पाम रिसोर्ट बुक करवाया गया, जिसकी बुकिंग मात्र का मूल्य ही 10 लाख निर्धारित है। इस लेडिज संगीत कार्यक्रम का कुल खर्च करीब 50 लाख हुआ था। जबकि सूचना के अधिकार के मुताबिक आज तक मारवाह को कुल एक करोड 65 लाख रुपये वेतन के तौर पर प्राप्त हुए है। कुल मिलाकर एक ही शादी का खर्च करीब 12 करोड आंका गया है। इस शादी मे मारवाह की पत्नी द्वारा ही करीब एक करोड के गहने पहने हुए थे। समारोह मे हुई फोटोग्राफी से यह तमाम प्रकरण स्पष्ट हो सकता है।
१९. नवनीत मारवाह के पुत्र ने चंडीगढ के सैक्टर 10 मे पचास हजार रुपये किराए की एक आर्ट गैलेरी द अटोपियन क्लीक खोली। करीब छ: माह तक यह दुकानदारी चलाई गई। लेकिन यहा मिडिया कवरेज बढने के कारण यह दूकान बंद कर दी गई और मारवाह ने अपने बेटे को विदेश भेज दिया। युरोप मे वह पानी के जहाजो मे रईसी ठाटबाट से रहता है। जिसकी लेटेस्ट फोटोग्राफ शिकायत के तौर पर प्रेषित होने के बाद मारवाह ने अपने बेटे का ईंस्टाग्राम अकाउंट बंद कर दिया। इस आर्ट गैलेरी मे लगाई जाने वाली पैंटिग्स की किमत एक हजार से पंद्रह सौ के बीच थी। जबकि यहा प्रत्येक तस्वीर की किमत पचास हजार रुपये रखी गई। और उद्योगपतियो को इस आर्ट गैलेरी से अपने उद्योग चलाने की एवज मे 20 तस्वीरो का बिल लेना होता था। कुलमिलाकर प्रत्येक दवा उद्योग को 10 लाख की खरीददारी करनी अनिवार्य की गई थी। इस दौरान करीब तीन सौ बिल फार्मा उद्योगो के काटे गए। इस खरीद फरोख्त की तसवीरे आज भी दवा उद्योगो के परिसरो मे लगी देखी जा सकती है। अहम यह है कि इस आर्ट गैलेरी की तमाम तस्वीरे सिर्फ दवा फैक्ट्री को ही बेची गई। इसके अलावा यह तस्वीरे कही और नही बिकी। मारवाह के पुत्र का बैंक अंकाउंट खंगालने पर 15 करोड की पेंटिंग का काला सच निसंदेह उजागर होगा। यह तमाम काला धन अब विदेश भेजा जा चुका है। मनी लांड्रींग का सिस्टम बना है। परिवार के समस्त सदस्यो का राजाओ महाराजाओ की तर्ज पर शौक फरमाये जाते है ।
२०. नवनीत मारवाह सपरिवार भ्रमण को जाते है तो दवा उद्योग उनका सारा लग्जरी खर्चा वहन करते है। वर्ष 2018 के एक प्रकरण मे नवनीत मारवाह सपरिवार रामेश्वरम घूमने गए। उद्योगपती के चंद्रु की बहन, जो टूर एव ट्रेवल का छोटा सा व्यापार करती है, ने आने जाने की फ्लाईट, फाईव स्टार मे ठहरने का लाखो का खर्च अपने सौजन्य से वहन किया, जबकि इस दौरान 5 लाख की महिला साडीया बतौर उपहार दी गई। सोना चांदी के आभूषण हो या महंगे कपडे, लाखो के गिफ्ट उद्योगपतियो द्वारा मारवाह को प्रदान किए जाने का प्रचलन आम और पुराना है। सवाल यह भी है कि नवनीत मारवाह के दफ्तर मे आज तक सीसीटीवी कैमरा क्यो नही लगा है। जम्मु कश्मीर उतराखंड मे सभी जगह ड्रग एक्साईज की पालिसी आई थी। तमाम राज्यो ने ड्रग लाईसैंस प्रक्रीया आन लाईन की है। उक्त राज्यो मे हर फर्म फैक्ट्री क तमाम ब्यौरा मौजूद है लेकिन हिप्र मे ऐसी कोई प्रक्रीया नही अपनाई जा रही है। जिससे पारदर्शिता आशंकित घेरे मे है।
२१. रिश्वत की काली कमाई को ठीकाने लगाने के लिए पूरा तंत्र जाल स्थापित किया गया है । हिप्र के धर्मशाला मे एक आश्रम की आड मे उगाही की रकम एकत्रित की जाते है। यह आश्रम एक स्थानीय पत्रकार के पिता संचालित करते है। इसलिए मिडिया ने कभी इस आश्रम मे चल रहे उक्त कृत्य पर गौर नही किया। जांच के अभाव मे सबूत नष्ट किए जा सकते है।
२२. 28 अप्रैल 2022 को मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखी। जो 5 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रमुख सचिव हिमाचल सरकार को मार्क हुई। सरकार को शिकायत आधार पर तमाम रिकार्ड कस्टडी मे अधिकारिक तौर पर जुटाना होगा। और तमाम आरोपितो की जांच मे मोबाईल काल और लोकेशन जैसे अहम बिंदु शामिल किए जाने चाहिए। बद्दी मे लेन देन कम से कम किए जाने की कोशिश की जाती है। चंडीगढ मे तमाम काले धन का संग्रहण किया जाता है। जहा से तमाम राशी हवाला के जरीए विदेशो को भेज दी जाती है। मारवाह का पुत्र विदेशो मे इस पैसे को ठिकाने लगाने का काम देखता है। उसका युरोप के समुद्र मे अपना एक योक है। हवाला के जरिए चल रहे कृत्य मे चंडीगढ के करीब 10 हवाला कारोबारी शामिल है।
२३. 2019 को समूचे भारतवर्ष मे फार्मा उद्योगो की स्थापना को लेकर एक बहुत बडी गर्जना हुई थी। समूचे विश्व मे भारत को फार्मा हब बनाने की एक मूहीम चलाई गई। 250 फैक्ट्रीया सोनीपत मे लगाई गई। 86 फैक्ट्रीया बरवाला मे लगाई गई। अम्बाला मे साहा औद्योगिक क्षेत्र जहा कोई किराए पर कमरा नही लेता था, वहा 25 फैट्रीया दवा की लगाई गई। और 2019 के बाद से एक भी दवा की फैक्ट्री हिप्र मे नही लगाई गई। हिप्र मे दवा उद्योग क्यो स्थापित नही हो रहा है, इसका कारण सरकार ढुंढना नही चाहती। हिप्र मे दवा उद्योग निर्माता अपनी स्थापना को लेकर उत्साहित है। लेकिन रिश्वत तंत्र की दशहतगर्दी इस दिशा मे बाधक है। प्रधानमंत्री द्वारा हिप्र को बल्क ड्रग दिया जाना एक बडी उपलब्धी है लेकिन दुर्भाग्यवश यहा लाईसैंस अथोरिटी ही संदेह के दायरे मे है। जब अकेले दवाओ फार्मुलेशन मे ही इतनी अराजकता है तो ऐसे मे बल्क ड्रग मे कितना भ्रष्टाचार होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
२४. उक्त तमाम प्रकरण के संदर्भ मे 27 सितम्बर 2022 को हिप्र स्वास्थ सचिव द्वारा विभागीय जांच एक स्वास्थय अधिकारी को सौंपी गई। एक हजार करोड के भ्रष्टाचार से जुडे मामले की बडी जांच का जिम्मा मात्र एक छोटे स्तर के अधिकारी को सौंपे जाने पर एतराज व्यक्त किया गया है। यह मात्र प्रकरण पर लीपापोती किए जाने का संदेह प्रतीत होता है। यह जांच स्पष्ट तौर पर किसी उच्च न्यायालय के सेवा निवृत न्यायधीश, आईएएस अधिकारी या केंद्रिय जांच एजेंसी से करवाए जाने की मांग़ की गई है। ताकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिप्र मे बल्क ड्रग उद्योग स्थापना की सरंचना पर इन घोटालो का असर न हो। (कापी सलग्न है)
इस विषय पर नवनीत मारवाह ने इसे मात्र बदनाम करने का षडयंत्र करार दिया तथा कहा की इन आरोपों में कोई भी सच्चाई नहीं है तथा यह मात्र उन्हें बदनाम करने की साजिश है।
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