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डी.ए.बी. स्कुल कर्मचारियो का कर रहा शोषण गरीब महिला को नहीं मिला इन्साफ

ऐसा क्या हुआ कि स्कुल प्रशासन को लेना पड़ा गुंडों का सहारा

आखिर स्कुल के अंदर ऐसा क्या था जो मिडिया के कैमरे को रोकने के लिए स्कूल प्रबंधकों ने शूरू कर दिया नया नियम लागू

इंदौरा, शम्मी धीमान 

मामला डीएवी पब्लिक स्कूल नगरोटा सुरियां (सूकनाडा )का है। आज से अठारह से वीस मास पहले की बात है कि राधा देवी नाम की औरत इसी स्कुल में चपरासी के पद कार्यरत थी। जिसे डीएवी स्कूल की मुख्य अध्यापिका द्वारा बिना किसी ठोस वजह बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस कदम से पहले कोई किसी भी प्रकार का राधा देवी को कोई नोटिस नहीं  दिया गया । अब राधा देवी  बेरोजगार हो गई है । पति  पहले ही स्वर्ग सिधार गए हैं। राधा देवी की दो लड़कियां हैं जिनकी शादी  हो चुकी है ओर अब मौजूदा हालातों  मे राधा देवी के पास रोजगार का साधन कोई न रहा। मात्र विधवा पैन्सन से गुजर वसर करने को मजबुर है। 
जानकारी के लिए आपको बताते चलें की राधा देवी ने स्कूल चपरासी के पद पर  सात साल का समय दिया। जिसमें सैलरी में पी एफ फंड भी काटा जाता रहा है। अब फंड राशि अब तक एक लाख से अधिक हो चुकी थी है जिसकी अदायगी अभी तक स्कूल प्रशासन ने नहीं की है। जब  सबसे पहले पंचायत प्रधान कर्ण पठानियां से मिले ओर साथ चलने के लिए कहा गया तो उन्होंने साफ-साफ़ मना कर दिया। 

उसी समय स्कूल प्रबंधन ने नया नियम बना दिया की स्कुल में कैमरा, मोबाइल बर्जित है। जब पत्रकारों द्वारा  मुख्य अध्यापिका से बात करने के लिए दवाव बनाया गया ओर विडियो ग्राफी करना शुरू की  तो स्कुल प्रशासन ने अपने पाले गुंडे बुला लिए।
जिसमें एक बात तो तय है कि स्कुल में कुछ न कुछ घपलेबाजी जरूर हो रही हैं। जिस कारण मुख्य अध्यापिका मिडिया से बात करने  में भागते हुए नजर आए। क्या कारण रहा की मैडम को मिडिया के स्वालो से बचने के लिए गुंडों का सहारा लेना पड़ा।
आखिर देखना यह होगा कि राधा देवी का जो हक बनता है स्कूल प्रशासन के पास पड़ा है वह मिलता है या नहीं  इसी प्रकार से मुख्य अध्यापिका अपनी मनमानी करती रहेगी।
आखिर इस मुख्य अध्यापिका को पूछने वाला है या नहीं । 
इस संबंध मुख्याध्यापक ऐसे बात करनी चाही लेकिन मैंने कोई भी बात पत्रकारों से करना उचित नहीं समझी।

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