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जोगिन्दर नगर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में शुरू हुई पंचकर्म चिकित्सा

जोगिंदर नगर, जतिन लटावा
राजकीय वृत्त आयुर्वेदिक चिकित्सालय जोगिन्दर नगर में पंचकर्म चिकित्सा फिर से शुरू कर दी गई है। कोरोना महामारी के चलते पिछले लगभग दो वर्षों से बंद पड़ी यह सुविधा अब लोगों को फिर से मिलने लग गई है। पंचकर्म चिकित्सा का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोग उठा सकें । इस दृष्टि से पंचकर्म से जुड़ी चिकित्सा की दरों को कम रखा गया है।
प्रभारी आयुर्वेदिक वृत चिकित्सालय जोगिन्दर नगर डॉ. गौरव शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि जोगिन्दर नगर आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्म चिकित्सा सुविधा को फिर से शुरू कर दिया गया है। उन्होने बताया कि वर्तमान में पंचकर्म चिकित्सा से जुड़ी कुछ क्रियाओं को प्रारंभ किया गया है जिसमें कटि वस्ति, ग्रीवा वस्ति, जानु वस्ति तथा नस्य प्रमुखता से शमिल है। पीठ के दर्द के लिये कटि वस्ति, गर्दन की दर्द के लिये ग्रीवा वस्ति, घुटनों की दर्द के लिये जानु वस्ति तथा नाक से जुड़ी रूकावट संबंधी समस्याओं के लिये नस्य को शुरू किया गया है। इसके अलावा अभ्यंग व स्वेदन सर्वांग व एकांग की सुविधा भी पंचकर्म चिकित्सा के माध्यम से लोगों के लिये उपलब्ध रहेगी।
पंचकर्म चिकित्सा के लिये ये रहेंगी दरें

डॉ. गौरव शर्मा ने बताया कि अस्पताल रोगी कल्याण समिति ने पंचकर्म चिकित्सा के लिये दरों को निर्धारित कर दिया है। जिनमें अभ्यंग व स्वेदन सर्वांग के लिये 150 रूपये, सष्ठि शाली पिंड स्वेदन, कायेसक, शिरोधारा, निरूह वस्ति, विरेचन, उतर वस्ति, उद्धर्तन के लिये 100 रूपये तथा अभ्यंग एकांग, स्वेदन एकांग, कटिवस्ति, जानुवस्ति, ग्रीवा वस्ति, अनुवासन वस्ति, अक्षितर्पण, शिरोभ्यंग, मात्रा वस्ति, रक्तमोक्षण, पत्रपिंड, लेप, अग्रिकर्म, स्नेहपान, इत्यादि के लिये 50 रूपये शुल्क निर्धारित किया गया है। इसके अलावा शिरोवस्ति के लिये शुल्क 75 व नस्य के लिये 40 रूपये निर्धारित किया गया है।
उन्होने बताया कि प्रतिदिन पंचकर्म की यह सुविधा सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक लोगों के लिये उपलब्ध रहेगी। पंचकर्म की बुकिंग के लिये प्रभारी आयुर्वेदिक वृत चिकित्सालय जोगिन्दर नगर से संपर्क कर सकते हैं।

क्या है पंचकर्म

आयुर्वेद में पचकर्म शरीर से जुड़ी पांच क्रियाविधि या कर्म हैं, जिसमें वमन, विरेचन, वस्ति, रक्तमोक्षण व नस्य शामिल है। पंचकर्म को अर्ध चिकित्सा भी कहा जाता है। पंचकर्म के माध्यम से शरीर के दोषों का शोधन किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर की दर्द में पंचकर्म काफी फायदेमंद रहता है। जिसमें कटि वस्ति, ग्रीवा वस्ति, जानु वस्ति, नस्य की प्रमुख प्रक्रियाएं शामिल है। इसमें रोगी को इन प्रक्रियों को दर्द के अनुसार पांच से सात बार दोहराया जाता है।

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