जोगिंद्रनगर, जतिन लटावा
वामपंथी पार्टियों के सप्ताह भर चले अभियान के तहत महंगाई व अन्य मुद्दों पर माकपा ने गांव-गांव अभियान चलाकर जोगिन्दर नगर में जोरदार प्रदर्शन किया तथा स्थानीय बस अड्डे पर धरना देते हुए जनसभा भी आयोजित की।
माकपा की जोगिन्दर नगर लोकल कमेटी के सचिव रविन्दर कुमार ने बताया कि कमरतोड़ महंगाई व पुलिस भर्ती पेपर लीक घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन के साथ-साथ जोगिन्दर नगर में बसों की कमी, पीने के पानी की किल्लत, डॉक्टरों के रिक्त पड़े पदों तथा खस्ताहाल सड़कों के मुद्दों पर भी जन अभियान चलाने के बाद आज माकपा व किसान सभा के बैनर तले विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया
बस अड्डे पर प्रदर्शनकारियों व उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए माकपा के मंडी जिला सचिव कुशाल भारद्वाज ने कहा कि महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। गरीब जायें तो कहां जाएं। खाएं तो क्या खाएं। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस महंगी, राशन महंगा, सब्जी, फल महंगे, शिक्षा महंगी, ईलाज महंगा, बस में सफर करना भी महंगा है। केंद्र व राज्य सरकार पूंजीपतिपरस्त नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को लागू करते हुए अमीरों को लाभ पहुंचाने के लिए गरीबों पर टैक्स थोंप रही है और बड़े पूंजीपतियों के कर्जे माफ करते हुए उनको तरह-तरह की छूट दी जा रही है तथा कुल सबसिडी का 85 फीसदी तो पूंजीपतियों के लिए ही दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज नौकरियां हैं ही नहीं तथा बेरोजगारी ने हर गरीब को जकड़ रखा है। जो नौकरियां लग रही हैं उनमें धांधलियां हो रही हैं। नौकरियां पैसे वालों को या फिर मंत्रियों व विधायकों के रिश्तेदारों व चहेतों में बांटी जा रही हैं। गरीब, मध्यम वर्ग व बेरोजगार क्या करें। पुलिस पेपर लीक घोटाला तथा अन्य विभागों में नौकरी के नाम पर ठगबाजी चल रही है।
उन्होंने कहा कि आज जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल के सिविल अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं पीने को पानी नहीं है, आने-जाने के लिए बसें नहीं हैं। जो बसें हैं भी वे सड़कों पर चलने लायक नहीं। जीरो वैल्यू की बसें हर दिन खराब तो हो ही रही हैं साथ में चालकों, परिचालकों व सवारियों की जिंदगी जोखिम में डाली जा रही हैं। सड़कों की हालत बेहद खराब है। पिछले 5 साल में जोगिन्दर नगर में विकास के नाम पर एक ईंट नहीं लगी है। न बस अड्डा बना, न वर्कशॉप खुली, न नई बसें खरीदी गई हैं उन्होंने कहा कि चंद साहूकारों के घर भरते ही जा रहे हैं और जनता के घर गरीबी, लाचारी, महंगाई व बेरोजगारी ने डेरा जमा रखा है तो घरों से बाहर निकल कर आवाज उठानी ही होगी।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मजदूरों की न्यूनतम दिहाड़ी 350 रूपये है तो फिर मनरेगा में मात्र 212 रूपये की दिहाड़ी देकर कामगारों का शोषण क्यों हो रहा है। माकपा की मांग है कि मनरेगा में 600 रूपये दिहाड़ी मिलनी चाहिए, जब तक 600 रूपये की दिहाड़ी नहीं मिलती है तब तक प्रदेश के दूसरे मजदूरों के बराबर 350 रूपये की दिहाड़ी मिलनी ही चाहिए। हमारे विधायक व मंत्री लोग अपनी जयजयकार करने तो सबको बुलाते हैं, लेकिन कामगारों की दिहाड़ी बढ़ाने के लिए मुंह नहीं खोलते हैं। उन्होने कहा कि उपरोक्त समस्याओं व मांगों के लिए वे व्यापक अभियान चलाएंगे और तीव्र संघर्ष की शुरूआत करेंगे।
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