◆यूक्रेन से लौटी सिमरन कौर ने सांझा किये अपने अनुभव
पालमपुर, रिपोर्ट
मोदी है तो मुमकिन है यह शब्द अक्सर पढ़ने को मिलते थे लेकिन प्रत्यक्ष रूम में प्रमाणित भी होते दिखे । यह उद्गार उस बेटी के हैं जो युक्रेन के सबसे बड़े शहर खारकीव में स्थित नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी । दिल को दहला देने वाली गाथा को सांझा करते हुए सिमरन ने बताया कि 24 फरवरी को वह गहरी नींद में सोई हुई थी सुबह तडके इतनी बमबारी व ब्लास्ट हुआ कि हॉस्टल की इमारतें जर्जर गई । एकदम सभी छात्र तितर-बितर होने लगे परिणामस्वरूप शोर-शराबे के बीच देखते देखते साथ लगता रेलवे स्टेशन एक बंकर के रुप में परिवर्तित हो गया । सिमरन ने बताया कि इस तरह 5 दिन रात उन्होंने रेलवे स्टेशन के इस बंकर में जिंदगी और मौत का झूला - झूला अर्थात जीना जिया । छठे दिन अन्य छात्रों के साथ तीन दिन में दो हजार किलोमीटर का सफर तय करने के उपरांत वे जोहानी एम्बॆसी पहुंचे । वहां एम्बॆसी के प्रतिनिधियों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया तव जाकर आठवें दिन बाद उन्होंने भरपेट खाना खाया । सिमरन ने बताया की वहाँ सरकार के केंद्रीय मंत्री महोदय ने सभी का ढाढस बांधते हुए कहा कि अव आप सभी अपने घर पहुंच गए हैं चिंता की कोई बात नहीं । उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के कुशल एवं गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार ऐसे प्रभावितों को निकट भविष्य में हर संभव सहायता प्रदान करेगी । अन्त में सिमरन कौर ने कहा कि अगर हम वतन वापिस लोटे हैं तो नरेन्द्र मोदी जी की कटिल नीति की बदौलत इसके लिए उन्होंने प्रधानमन्त्री का तहेदिल आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया ।
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