कांगड़ा,रिपोर्ट
सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने 02 -12 फरवरी 2022 तक कांगड़ा जिले के मरयाड़ी, सलोह, घोरब और गुरकड़ी पंचायतों में “फूलों की खेती और सुगंधित फसलों में मधुमक्खी पालन के एकीकरण" लिए चार दिवसीय प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जहां लगभग 101 किसानों ने भाग लिया और प्रशिक्षण कार्यक्रम से लाभान्वित हुए। इन कार्यक्रमों में किसानों को आधुनिक मधुमक्खी पालन के विभिन्न पहलुओं जैसे कि मधुमक्खी कालोनियों का प्रबंधन, मधुमक्खियों के कीट एवं रोग प्रबंधन और शहद के उत्पादन के लिए अमृत से भरपूर पौधों की खेती, पर प्रशिक्षित किया गया । सीएसआईआर-आईएचबीटी और सीएसआईआर-सीएसआईओ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित बेहतर फ्लो हाइव का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमे मधुमक्खियों की मृत्यु के बिना शहद का स्वच्छ निष्कर्षण किया जाता है।
डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने परागण, उच्च उत्पादकता और उत्पादन के लिए फूलों की खेती और सुगंधित फसलों के साथ मधुमक्खी पालन को एकीकृत करने के लिए किसानों को अपना संदेश दिया। साथ ही, किसानों को उनकी आजीविका और रोजगार के लिए शहद और उसके उत्पादों को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करने की भी सलाह दी गयी।
इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में डॉ. एस.जी.ई. रेड्डी के तहत काम कर रहे शोधकर्ताओं ने फूलों की खेती और सुगंध मिशन में मधुमक्खी पालन, बेहतर मधुमक्खी के छत्ते, मधुमक्खी कैलेंडर, मधुमक्खी पालन समूहों पर विस्तृत व्याख्यान दिए और एनजीओ/किसान संघों/मधुमक्खी पालक संघों आदि को 250 से 500 कारीगरों के साथ मधुमक्खी पालन समूहों में भाग लेने की भी सलाह दी ताकि एमएसएमई मंत्रालय के माध्यम से केवीआईसी-स्फूर्ति योजना के तहत 2-5करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की जा सके।
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