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वोकेशनल एजुकेशन के तहत समग्र शिक्षा अभियान के अधिकारियों को ही वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनर की योग्यता बारे नहीं पूरी जानकारी

पालमपुर,रिपोर्ट
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत पूरे प्रदेश के स्कूलों में चलाई जा रही वोकेशनल एजुकेशन के तहत समग्र शिक्षा अभियान के अधिकारियों को ही वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनर की योग्यता बारे पूरी जानकारी नहीं है । ऐसा ही मामला इस बार की जा रही भर्ती को लेकर हुई छानबीन में सामने आया है।  जिसमें  समग्र शिक्षा अभियान के शिमला बैठे अधिकारी यह बताने में सक्षम नहीं है कि जो ट्रेनर स्कूलों में कंपनियों द्वारा रखे जा रहे हैं, उनकी वास्तविक योग्यता क्या होनी चाहिए।  इससे यह भी साफ जाहिर हो रहा है कि केंद्र सरकार से आए सरकारी धन के दुरुपयोग का भी कहीं न कहीं दुरुपयोग हो रहा है। क्योंकि समग्र शिक्षा अभियान द्वारा स्वयं स्कूलों में ट्रेनरों की नियुक्ति न कर विभिन्न कंपनियों को ठेका दे दिया गया है। 
जिससे यह कंपनियां अपनी मनमानी भी कहीं ना कहीं कर रही हैं। जिसके कई उदाहरण सामने आए हैं विज्ञापनों में ही कंपनियों द्वारा ट्रेनों की सैलरी जहां ₹19000 प्रतिमा दर्शाई गई है । वहीं गत साल भर्ती हुए ट्रेनरों से बात करने पर पता चला कि कहीं कहीं पर 14 से 16000 की सैलरी ही ट्रेनरों को दी जा रही है । वही कंपनियों द्वारा अपना हिस्सा भी काटा जा रहा है। इन सारी बातों से परे हटकर जब कुछ ट्रेड्स की शिक्षा देने के लिए रखे जाने वाले ट्रेनरों की योग्यता पर छानबीन की गई,  तो समग्र शिक्षा अभियान के शिमला बैठे अधिकारी इस बात की अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं,  कि यह सब कुछ कंपनियों द्वारा ही निर्धारित किया जाना है।  ऐसे में योग्यताओं को दरकिनार कर ऐसे लोगों की भी भर्ती हो सकती है जो कंपनियों के चहेते होंगे या जिन्हें और राजनीतिक संरक्षण के चलते आगे आने का मौका दिया जाएगा।

एक ट्रेड  ब्यूटी एंड वैलनेस प्रदेश के स्कूलों में शुरू किया गया है।  जिसके लिए ट्रेनरों की भर्ती की जा रही है। संबंधित कंपनी जिसे ट्रेनरों की भर्ती का ठेका दिया गया है। उस कंपनी के अधिकारी यह स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं की जो भी आवेदन कर रहा है उसके पास प्रमाण पत्रों में डिप्लोमा शब्द लिखा जाना चाहिए। जबकि प्रदेश की हजारों की संख्या में आईटीआई, सीटीआई , पीओटी बेरोजगार बैठे हैं। लेकिन कंपनी द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया में डिप्लोमा की शर्त लगाकर  सरकारी आईटीआई से दो वर्ष का डिप्लोमा किए यह बेरोजगार अपात्र घोषित कर दिए गए।  जिनके सर्टिफिकेट पर डिप्लोमा शब्द नहीं लिखा गया है। कंपनी के अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया कि अब तक आए करीब 500 आवेदनों में से 50 लोगों के पास ही डिप्लोमा है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि प्रदेश में कोई भी आईटीआई या सरकारी, निजी संस्थान इस तरह का डिप्लोमा नहीं करवाता है । ऐसे में यह स्पष्ट तौर पर सामने आया है कि यहां कंपनियों की मनमानी जाहिर है। क्योंकि यह कंपनियां खुद ऐसे डिप्लोमा  भी मनमाने दामों पर उपलब्ध करवाने में सक्षम है। जबकि समग्र शिक्षा अभियान के अधिकारी जिन्हें यह सारा जिम्मा सौंपा गया है। करोड़ों रुपए का बजट उनके पास आया है इस सारी प्रक्रिया को लेकर अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं ।

स्टेट नोडल अधिकारी दिनेश स्टेटा ने कहा कि उन्हें इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। कंपनी के प्रतिनिधियों से ही इस बारे अधिक जानकारी हासिल करें। यह डिप्लोमा कहाँ किया होना चाहिए यह उनकी चिंता नहीं है। 
समग्र शिक्षा अभियान के निदेशक और राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि उनको कुछ बात समझ आई है,   फिर भी वे नोडल अधिकारी से बात करेंगे इस पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी ।
तकनीकी शिक्षा विभाग सुंदर नगर पॉलिटेक्निक के निदेशक विवेक  चंदेल ने कहा कि अगर कंपनियों द्वारा डिप्लोमा शब्द को ढूंढा जाएगा, तो ऐसा उनके आईटीआई में सीटीआई के छात्रों के प्रमाण पत्रों पर डिप्लोमा शब्द नहीं  लिखा होगा।  जबकि वे सभी सरकारी कोर्स उनकी आईटीआई से किए गए हैं व दो साल के हैं। और सीटीआई करने के बाद कोई भी छात्र इंस्ट्रक्टर लगने के लिए पात्र होता है।  प्रदेश की आईटीआई में इन्हीं सीटीआई किये छात्रों को बतौर इंस्ट्रक्टर भर्ती किया जाता है । लेकिन अगर सरकारी स्कूलों में की जा रही इस प्रकार की भर्ती में आईटीआई सीटीआई किये छात्रों की अनदेखी की जाती है तो यह सरासर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार द्वारा सत्यापित आईटीआई होल्डर बेरोजगारों से अन्याय होगा। 
प्रदेश तकनीकी शिक्षा मंत्री राम लाल मार्कण्डेय ने कहा कि आईटीआई सीटीआई कोर्स किये बेरोजगारों को अगर इस भर्ती के नजरअंदाज किया जा रहा है, तो यह सरासर गलत है। इस बारे वे समग्र शिक्षा अभियान  के अधिकारियों व सम्बंधित विभाग से बात करेंगे।

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