◆क्या भाजपा से होंगे महेंद्र सिंह और कांग्रेस से फिर एक बार चन्द्रशेखर
◆या फिर बदलेंगे दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार
धर्मपुर- संगीता मंडयाल
हालांकि अभी विधानसभा चुनाव में काफी समय है क्योंकि ये चुनाव इस वर्ष लगभग नवंबर के महीने में होगा। लेकिन फिर भी राजनीतिक व्यक्तियों की गतिविधियों से चुनाव की सुगबुगाहट अभी से दिखाई देने लगी है धर्मपुर भाजपा लगभग अपने भावी नेता रजत ठाकुर को आगे लाने के लिए लगातार प्रचार प्रसार में लग चुकी है। वहीं ठाकुर महेंद्र सिंह भी रजत ठाकुर को अपने साथ हर जनसभा व हर मीटिंग में साथ साथ लिए हुए है इतना ही नहीं रजत ठाकुर ने भी लगातार पार्टी को मण्डल स्तर से लेकर बूथ स्तर पर बैठकों का सिलसिला जारी रखा है । जिसके चलते गत नवंबर माह में मुख्यमंत्री जयराम के स्वागत में एक बड़ी रैली का जिम्मा भी रजत ठाकुर ने ही लिया था। जिससे जय राम बहुत खुश नजर आए थे और उन्होंने अपनी कुबेर पोटली धर्मपुर की ओर खुली रखी थी।
अब अभी ये देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव ठाकुर महेन्द्र सिंह खुद लड़ते हैं या फिर वो अपना आशीर्वाद अपने बेटे रजत ठाकुर को देते है ये अभी भविष्य के गर्भ में है। हां इतना जरूर है कि धर्मपुर भाजपा में दुसरा कोई ऐसा टिकेट का तलबगार दिखाई नहीं दे रहा । जिसने पिछले अरसे से धर्मपुर चुनाव क्षेत्र में अपनी सक्रियता बधाई हो।जिसके बल पर भाजपा का टिकट मांगने का दम रखता हो ।हां पिछले कई चुनावों में धूमल परिवार के खास और पूर्व में विद्यार्थी परिशद के नेता रहे व भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहे नरेंद्र अत्रि को धर्मपुर में स्पॉट करने के प्रयास भी हुए लेकिन ठाकुर महेंद्र सिंह व रजत ठाकुर के लगातार जनसंपर्क व सक्रियता के चलते उन्हें धर्मपुर में स्पॉट करने में किसी को कामयाबी नहीं मिली और वो कोई गतिविधि करने में कामयाब नहीं हो पाए।
उनके अलावा ठाकुर महेंद्र सिंह जब से भाजपा में आये है तब से दूसरे किसी भाजपा नेता ने अंदर खाते चाहे कुछ भी प्रयास किया हो लेकिन खुलकर कुछ नहीं कर पाए।
अब रही कांग्रेस की बात तो कांग्रेस धर्मपुर में 1990 के चुनाव के बाद जब से ठाकुर महेंद्र सिंह धर्मपुर से विधायक बने है और उन्होंने 1990 के चुनाव में तत्कालीन मंत्री एवम धर्मपुर के तत्कालीन विधायक ठाकुर नत्था सिंह को चुनाव में हार मिली है तो उसके बाद भी अगर कांग्रेस धर्मपुर से एक चुनाव जीतने में तब कामयाब हुई थी। जब खुद महेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे । उसके बाद धर्मपुर चुनाव क्षेत्र से कांग्रेस को हार का ही मुंह देखना पड़ा है । हालांकि धर्मपुर कांग्रेस ने अपनी इस लगातार की हार को देखते हुए उस वक्त के माकपा के तेजतर्रार छात्र नेता रहे ठाकुर चंद्रशेखर को कांग्रेस में स्पॉट करके धर्मपुर में बदलाव लाने का प्रयास किया लेकिन वो भी पिछले तीन चुनावों में ठाकुर महेंद्र सिंह को हराने में कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस में बड़ा ही नजदीकी मुकाबला हो गया था लेकिन फिर भी भाजपा के ठाकुर महेंद्र सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे इसी कड़ी में जब 2017 का विधानसभा चुनाव हुआ तो इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्यासी रहे चन्द्रशेखर फिर बडे मार्जिन से चुनाव में पिछड़ गए।
अब देखने वाली बात है कि 2022 के इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को किसके ऊपर दांव खेलना है ये अभी भविष्य के गर्भ में है क्योंकि एक तरफ राहुल गांधी व रास्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि जो पार्टी के लोग उम्रदराज हो गए है या फिर लगातार चुनाव हार रहे है या फिर बड़े मार्जिन से हार रहे हैं कांग्रेस पार्टी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाएगी उनकी जगह नए कार्यकर्ता को मौका दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस धर्मपुर में किसके ऊपर दांव खेलेगी।हालांकि कुछ समय से पूर्व में तीन बार पार्टी प्रत्यासी रहे चंद्र शेखर सक्रिय हुए है फिर से पार्टी बैठके करके सरकार को घेरने का प्रयास भी कर रहे है।
लेकिन पिछले अरसे से ही धर्मपुर के ही एक युवा जितेंद्र ठाकुर कांग्रेस में एक चेहरा बनकर उभरे हैं कारोना काल से ही सक्रिय इस युवा धर्मपुर के कांग्रेस कार्येकर्ताओ में पहचान बनाने के साथ साथ प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में पहचान बनाई है ।अपनी सक्रियता के चलते राहुल गांधी ब्रिगेड में भी शामिल हो गए है इतना ही नहीं आजकल पंजाब में हो रहे चुनावो में कांग्रेस पार्टी के प्रचार में कमान संभाले हुए है। ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस पार्टी में टिकेट बदलने की ही बात आती है तो कांग्रेस पार्टी जितेंद्र ठाकुर के ऊपर भी विचार कर सकती है क्योंकि जो पुराने लोग कांग्रेस के कार्यकर्ता व नेता रहे है चाहे वो पूर्व मंत्री का बेटा नरेंद्र ठाकुर है चाहे कांग्रेस के ही महासचिव जयकुमार आजाद है चाहे पूर्व में पंचायत समिति अध्यक्ष रहे अधिवक्ता कुलदीप सिंह चबयाल है वो अभी तक कदमताल करते नजर नहीं आ रहे है ऐसी स्थिति में कांग्रेस किसके ऊपर दांव खेलेगी ये सभी चलकर देखने को मिलेगा की कौन कितना सक्रिय होता है।
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