◆सरस्वती नदी का 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पुनरुद्धार होगा
शिमला,रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार और हरियाणा सरकार के मध्य पंचकुला में हरियाणा के यमुना नगर जिले के आदिबद्री क्षेत्र के समीप हिमाचल प्रदेश में 77 एकड़ में आदिबद्री बांध के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। इस परियोजना के माध्यम से 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने राज्य सरकारों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस ऐतिहासिक अवसर पर संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा होगा। उन्होंने 3 अप्रैल, 2014 को कुरूक्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए सरस्वती नदी का पुनरूत्थान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी क्योंकि इससे हिमाचल प्रदेश की 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रतिवर्ष पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति होगी और प्रभावित बस्तियों के लिए सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बांध का उपयोग न केवल सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किया जाएगा बल्कि इससे क्षेत्र में जल संरक्षण को भी सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए पूरी धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सरकारें परियोजना के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय लोगों के कल्याण और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के साथ पयर्टन परियोजनाएं बनाने के लिए भी स्वतंत्र होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज और जलवायु संरक्षण पैकेज के साथ भविष्य में आदि बद्री बांध से संबंधित लागत/व्यय हिमाचल प्रदेश की प्रचलित नीतियों व अन्य प्रचलित कानूनों के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा तथा इससे संबंधित कोई भी देनदारी हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित नहीं की जाएगी।।
जय राम ठाकुर ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने पर सरस्वती नदी फिर से पुनर्जीवित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कुल प्रस्तावित क्षेत्र में से 31.16 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश की है जिसमें से 0.67 हेक्टेयर निजी भूमि और 30.49 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सोंब नदी से बांध को 224 हेक्टेयर मीटर जल की आपूर्ति होगी जो यमुना नगर जिले में आदिबद्री के समीप यमुना में मिलती है। उन्होंने कहा कि आदिबद्री बांध और इससे संबंधित अधोसंरचना के लिए एचपीपीसीएल कार्यकारी संस्था होगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि गंगा और यमुना के साथ सरस्वती देश की सबसे पवित्र नदी है। उन्होंने कहा कि इस बांध के बनने से सरस्वती नदी में पूरे साल बीस क्यूसेक जल का प्रवाह होगा। उन्होंने कहा कि घग्गर नदी बहने के रास्ते को सरस्वती नदी का मार्ग कहा जाता है। यह परियोजना हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने से न केवल पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि इससे भू-जल में भी वृद्धि होगी।
मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आदिबद्री बांध से संबंधित कार्यों की योजना, पर्यवेक्षण और निगरानी के लिए आदिबद्री बांध निर्माण निगरानी समिति का गठन किया गया है। इस समिति में हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव िंसंचाई, हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग के सचिव, दोनों राज्यों के इंजीनियर-इन-चीफ और अन्य प्रतिनिधि शामिल हैं।
इस अवसर पर हरियाणा सरकार के शिक्षा, भाषा एवं संस्कृति मंत्री कंवर पाल गुज्जर ने मुख्यमंत्रियों का स्वागत किया।
हरियाणा के जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तौगी ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
हरियाणा के जल शक्ति विभाग के अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक ने प्रस्तावित आदिबद्री परियोजना की मुख्य विशेषताओं के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, सांसद अम्बाला रत्न लाल कटारिया, हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल, केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष आर.के. सिन्हा, हिमाचल प्रदेश जल शक्ति विभाग के विशेष सचिव डॉ. अश्विनी कुमार शर्मा और हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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