◆किसान संघ से डॉ जय देव - प्रदेश मंत्री ने दी विस्तृत जानकारी
पालमपुर, प्रवीण शर्मा
भारतीय किसान संघ के देशव्यापी आंदोलन के अंतर्गत विकास खंड पंचरुखी व विकास खंड भवारना (पालमपुर) के द्वारा मिनी सचिवालय, पालमपुर के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। उसके बाद दोनों खंडों के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा। इसके अलावा स्थानीय समस्याओं को लेकर जैसे "आवारा पशुओं व बंदरों की समस्या", "बेसहारा गायों के लिए सैंक्चुअरी बने", "सिंचाई की समस्या", "5 बीघा तक के कब्जे को नियमित किए जाने के बारे में", "प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने बारे" इत्यादि समस्याओं के संदर्भ में राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौंपा गया । इस धरना-प्रदर्शन-ज्ञापन के कार्यक्रम में इन दोनों खंडों से भारतीय किसान संघ के अनेक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में डॉ शिवपाल सिपहिया- भारतीय किसान संघ के संस्थापक सदस्य, डॉ पवन पठानिया - जिला कांगड़ा के उपाध्यक्ष, सुनीता शर्मा - महिला प्रमुख व डॉ जय देव - प्रदेश मंत्री ने भी अपने विचार प्रकट किए ।
जानकारी देते हुए जय देव ने बताया कि सितंबर, 2020 में भारतीय किसान संघ द्वारा देशभर में 20,000 ग्राम सभाएं करते हुए ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्ताव प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री, भारत सरकार को भिजवाये गये। उसके परिणाम की प्रतीक्षा एवं कोविड नियमों का ध्यान रखते हुए, पुनः 8 सितंबर, 2021 को एक ही दिन में देशभर के 513 जिला केन्द्रों पर धरना-प्रदर्शन हुए, जिनमें लाखों किसानों ने भाग लिया। ज्ञापन पुनः प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को प्रेषित किए गये। इस बीच तथाकथित किसान आंदोलन (दिल्ली बोर्डर) के नाम पर माननीय प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कानून वापिस ले लिए गये, इस घोषणा से देशभर का लघु एवं सीमांत किसान स्तब्ध रह गया। उसकी सभी आशाएं धराशाही हो गई।
उन्होंने कहा की किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान गरीब और कर्जदार होता जा रहा है। यद्यपि सरकार अपने ढंग से कई प्रकार की मदद करती है। परंतु इसका क्रियान्वयन सही ढंग से न होने के कारण किसान की दशा में सुधार नहीं हो पा रहा है। परेशान किसान इतनी मांग कर रहा है कि उसकी फसल का मूल्य, लागत एवं उस पर लाभ जोड़कर भुगतान की व्यवस्था बने। इसके लिए कानूनी प्रावधान करते हुए क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रस्तुत की जाये, तब बेरोजगारी की वर्तमान स्थिति में अधिक से अधिक नौजवान, खेती-किसानी की ओर आकर्षित होंगे, देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान भी इसी रास्ते से निकल सकता है। उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा भारत का किसान अपने राष्ट्रीय दायित्व को भी भली-भांति समझता है, इसलिए भारतीय किसान संघ जो शांतिपूर्ण, अहिंसक एवं राष्ट्रहित एवं किसानहित को एक मानकर चलने वाले संगठन द्वारा आरम्भ किए गये हैं। चरणबद्ध आंदोलन के तृतीय चरण में दिनांक 1 से 10 जनवरी 2022 तक गांवों में चले जन-जागरण अभियान में छोटी-छोटी ग्राम सभाएं की गई और अंतिम दिन 11 जनवरी, 2022 को पूर्व प्रधानमंत्री एवं स्व० लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्य तिथि को सभी तहसील/ब्लॉक केन्द्रों पर धरना-प्रदर्शन के पश्चात सक्षम प्राधिकारियों के माध्यम से लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की सुनिश्चिती के संदर्भ में उपमण्डलाधिकारी,तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति भारत सरकार को ज्ञापन दिया गया। जिसमें भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश के खण्ड स्तर पर तहसील व जिला इकाइयों के पदाधिकारियों एवं कार्यकत्ताओं द्वारा प्रदेश भर में कार्यकत्ताओं द्वारा भाग लिया गया।
उन्होंने बताया कि भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश द्वारा खण्ड स्तर पर एक ज्ञापन राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला को उपमण्डलाधिकारी/तहसीलदार द्वारा प्रेषित किया गया। भारतीय किसान संघ द्वारा समय-समय पर हिमाचल प्रदेश सरकार एवं प्रशासन के समक्ष विभिन्न विषयों पर संवाद, पत्राचार, चर्चा एवं ज्ञापन द्वारा किसानों की समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए ध्यानाकर्षित किया गया। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की कई योजनाएं/परियोजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन किसान को उनका वांछित लाभ से वंचित है। परिणामस्वरूप किसान खेती से विमुख होता जा रहा है। किसान के लिए निम्न प्रमुख समस्याओं का स्थाई समाधान करना अनिवार्य है। जिसमें बेसहारा पशुओं द्वारा खेती की उजाड़ व जानमाल की सुरक्षा के लिए, बेसहारा पशुओं के लिए गौ अभ्यारण्य निश्चित समयावधि में बनाकर समस्या से निजात दिलाई जाए। दूसरा बन्दरों, सूअरों तथा नील गाय द्वारा खेती की उजाड़ एवं जानमाल के नुकसान को देखते हुए इनका उचित प्रबन्धन किया जाए। तीसरा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा राज्य में प्रचलित सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रार्थना पत्र से स्वीकृति तक की आनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया का ई-पोर्टल बनाया जाए। चौथा कृषि शोध संस्थानों द्वारा प्रदेश की भौगोलिक सूक्ष्म जलवायु व मिट्टी पर आधारित कृषि जलवायु परिस्थिति के अनुसार उपयुक्त चिन्हित फसलों की खेती मानचित्रित की जाए। पांचवा कृषि शोध संस्थानों द्वारा कृषि आदानों व उत्पादन लागत कम करने के लिए प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति अनुसार शोध कार्य योजना बनाई जाए। छठा विभिन्न विभागों व विभाग के अन्दर चल रही एक जैसी सभी योजनाओं बना करके किसानों के लिए सुविधाजनक बनाकर लाभकारी बनाएं। सातवां गौ आधारित जैविक खेती व दुधारू पशुधन के प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी गौ खरीदने के लिए सभी किसानों को अनुदान/प्रोत्साहन राशि दी जाए। आठवां नदियों में अवैध खनन से गिरता जल स्तर, सिंचाई योजनाएं ठप्प व उजड़ती खेती से निजात दिलाई जाए। नवां प्राकृतिक आपदा सूखा, ओलावृष्टि, भारी हिमपात से रबी फसलों व सेब की फसल के नुकसान से सीधी राहत किसान को देने हेतू प्रदेश भर में जिला स्तर पर ज्ञापन 30 मार्च को जिलाधीश के माध्यम से दिये गए। इस संदर्भ में किसानों को उनके नुकसान की राहत दी जाए।
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