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प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन में कांगड़ा जिले की 806 पंचायतों से 16,290 कृषको ने लिया भाग


पालमपुर ,प्रवीण शर्मा
भारत सरकार द्वारा सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर गुजरात में तीन दिवसीय प्रीवाइब्रेंट गुजरात समिट 2021 का आयोजन किया गया। जिसमें प्राकृतिक खेती पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया । इस कार्यक्रम में
वेबिनार में कांगड़ा जिले की 806 पंचायतों से 16,290 कृषको जिसमें 11,448 महिलाए तथा 4842 पुरुष ने भाग लिया । प्राकृतिक खेती के बारे में लघु किसानों को प्राकृतिक खेती से होने वाले गुणो के बारे में  संबोधित किया गया तथा प्राकृतिक खेती विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई । इस प्रीवाइब्रेंट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने भी शिरकत की और किसानो को संबोधित किया  । इस उपलक्ष्य पर प्रधानमंत्री  ने किसानो से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह भी किया तथा  " पीएम मोदी ने कहा “बीज से लेकर मिट्टी तक, आप हर चीज का प्राकृतिक तरीके से इलाज कर सकते हैं। परियोजना निदेशक (आतमा) जिला कांगड़ा डा शशी पाल अत्री  का कहना है कि  3.5 साल पहले राज्य में ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना शुरू की गई जिसमें  जिला कांगड़ा में अभी तक प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत लगभग 37500 किसानो  ने 1010.11 हैक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती द्वारा  फल-सब्जी व खाद्यान्न का उत्पादन किया जा रहा है। 
प्राकृतिक खेती कर रहे  किसानो को अभी तक  ऑन-फार्म इनपुट जनरेशन में 9200 प्लास्टिक ड्रम  दिये गए  है, 682 किसानो की गोशाला की परत दिया गया है, 206 प्राकृतिक खेती संसाधन भंडार जिला कांगड़ा में सचारु रूप से काम में लगे हैं और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 107 देसी गाय पर अनुदान दिया गया है। 
उनका कहना है कि प्राकृतिक विधि  से खेती की लागत कम कर सकते है।प्राकृतिक कृषि पद्धतियां चार मूल सिद्धांतों-बीजामृतम, जीवामृतम, मल्चिंग और वाफासा पर आधारित हैं। प्राकृतिक खेती से मृदा के स्वास्थ्य  व उत्पादकता  में सुधार होता है ।  प्राकृतिक खेती पद्धति मृदा के स्वास्थ्य, जैव विविधता में सुधार करने, पानी की बचत, कृषि-आदानों की लागत कम करने, किसान ऋणग्रस्तता को रोकने, आजीविका में सुधार आदि करने में मदद करती है। प्राकृतिक खेती एक संभावित कृषि-पारिस्थितिक पद्धति के रूप में उभरी है जो जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को कम करने के लिए पर्यावरण पुर्न स्थापना जैसे कई अन्य लाभों के अलावा किसान की आय में वृद्धि हेतु अवसर प्रदान करती है।
डा शशी पाल अत्री  ने वर्ष 2021-22 में जिला कांगड़ा में  प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत होने वाले कार्यो से भी रूबरू करवाया जिसमें ग्राम स्तर पर  2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भी करवाया गया है  जिसमें 314 प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 7000 किसानो को प्रशिक्षित किया गया है । 75 प्रभावशाली किसानो के खेत पर प्रदर्शन प्लाट लगाए गए हैं, लगभग 750 स्कूली बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम करवाए गए हैं , जिसमें 'सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की महतता को बताया गया है और हिमाचल सरकार प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत देसी गाय की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है। इसके अतिरिक्त आदान निर्मिति के लिए ड्रम खरीद, गौशाला के नालीकरण एवं संसाधन भंडार खोलने के लिए भी प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को अनुदान राशि दी जा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान-बागवान इस कम लगात वाली, मौसम के अनुकूल और स्थानीय संसाधन आधारित खेती से जुड़ सकें।
 प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती का विस्तार कर हिमाचल को प्राकृतिक राज्य के रूप में पहचान दिलवाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।
अंत में परियोजना निदेशक (आतमा) जिला कांगड़ा डा0 शशी पाल अत्री  ने इस कार्यक्रम के  सफलतापूर्वक आयोजन पर आतमा के सभी अधिकारी , कर्मचारी व किसानो का धन्यावाद किया।

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