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किसानों की ऐतिहासिक जीत पर किसान सभा ने निकाला विजयी जलूस

◆पीएचसी चौंतड़ा में डॉक्टरों के रिक्त पद शीघ्र भरे सरकार-कुशाल भारद्वाज

पधर(मंडी)। कृष्ण भोज
तीन कृषि कानून वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले को कुशाल भारद्वाज ने किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले चौंतड़ा के सैंकड़ों किसानों ने किसान सभा के नेतृत्व में जून 2020 में तीनों कृषि अध्यादेशों की प्रतियाँ सुकाबाग के मेला मैदान में जलाई थी। किसान सभा ने जोगिंदर नगर के हर क्षेत्र में भी इन क़ानूनों को निरस्त करने के लिए कई प्रदर्शन किए थे। अतः इस जीत के लिए सभी किसान बधाई के पात्र हैं। 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ जोगिंदर नगर में अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए शनिवार को चौंतड़ा में पार्टी के राज्य सचिवालय सदस्य एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में माकपा की जोगिंदरनगर स्थानीय कमेटी के सचिव एवं टिकरी मुशैहरा पंचायत के प्रधान रविंदर कुमार, किसान सभा चौंतड़ा जोन की उपाध्यक्ष एवं पसल संगनेहड़ की बीडीसी सदस्य नीलम वर्मा, वरिष्ठ माकपा नेता पूर्ण चंद, भगत राम वर्मा, माकपा के लोकल कमेटी सदस्य सुदर्शन वालिया, महेंद्र सिंह, अनिल कुमार, राम सिंह, वीना देवी, माकपा नेत्री व वार्ड पंच संतोष कुमारी, निशु देवी, वीना देवी, सुनीता देवी, दुलो राम, भगत राम, सकीना देवी, राकेश कुमार, मोहन लाल सहित सैंकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।  

सुकाबाग मेला मैदान से चौंतड़ा बाज़ार तक महंगाई के खिलाफ तथा चौंतड़ा पीएचसी में डॉक्टरों के रिक्त पद भरने की मांग पर विशाल जलूस निकाला गया जिसमें सैंकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कुशाल भारद्वाज, रविन्द्र कुमार और नीलम वर्मा ने चौंतड़ा बस अड्डे के पास जनसभा को भी संबोन्धित किया। 
प्रदर्शनकारियों व उपस्थित दुकानदारों व टैक्सी चालकों को संबोन्धित करते हुए कुशाल भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार के शासन काल में देश व प्रदेश में महंगाई ने आज तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। कोविड-19 महामारी से पैदा आपदा के मुक़ाबले के लिए मदद करने के बजाए सरकार जनता पर लगातार महंगाई का बोझ डाल रही है। मोदी सरकार ने पिछले 6 महीनों में ही पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्यों में कम से कम 40 बार बढ़ोतरी की है, जिससे देश में कई हिस्सों में पेट्रोल के दाम 115 रुपये लीटर और डीजल के 106 रूपये लीटर तक चले गए। डीजल के दाम भी 100 रूपये के पार पहुँच गए। घरेलू रसोई गैस सिलेन्डर 1100 रुपये व कमर्शियल गैस सिलेन्डर 2000.50 रूपये में मिल रहा है और उसमें मिलने वाली सबसिडी मात्र 36 रूपये है जो बैंक कटोती के बाद 20 रुपये से भी कम मिलती है। खाद्य वस्तुओं के दामों में अत्यधिक वृद्धि की गई है। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण वस्तुओं की आवाजाही महंगी होती है। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीतिकरण होता है तथा महंगाई बढ़ती है। इन नीतियों से देश में खाद्य वस्तुओं के दामों में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है। सरसों का तेल 250 रूपये प्रति लीटर तक पहुँच गया। इसी तरह दालें, चीनी, सब्जी, प्याज, टमाटर आदि भी अत्यधिक महंगे दामों में मिल रहे हैं। इससे मुद्रास्फीती की दर में भारी वृद्धि हुई है तथा थोक मूल्य सूचकांक व खुदरा महंगाई दर में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी न केवल बिजली, पानी की दरों व बस किराया में भारी वृद्धि की गई है, बल्कि डिपुओं से मिलने वाले सरसों तेल व अन्य राशन की कीमतों में भरी वृद्धि कर दी है। वहीं केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि गरीब परिवारों को दिया जा रहा 5 किलोग्राम मुफ्त राशन 30 नवंबर के बाद बंद कर दिया जाएगा। इससे 80 करोड़ जनता जिनको यह राशन मिल रहा था, सीधे प्रभावित होगी। 

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार आम जनविरोधी नीतियों को लागू कर रही है। पूँजीपतियों एवं कॉर्पोरेट घरानों को लाभ देने वाली नीतियों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था गहरी मंदी में है। पूँजीपतियों के कर्जे माफ किए जा रहे हैं, उन्हें टैक्स में छूट दी जा रही है और भरी भरकम सबसिडियां दी जा रही हैं, जबकि आम जनता की सबसिडियां छीन कर और उनपर टैक्स थोंप कर उनपर बोझ डाला जा रहा है। सरकार की नवउदारवादी एवं पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और जनता की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खरीदने व खर्च की क्षमता घटती ही जा रही है। महंगाई व बेरोजगारी के कारण देश में भुखमरी तेजी से बढ़ रही है। भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान व बांग्लादेश से भी बहुत पिछड़ कर 116 देशों में 101वें पायदान पर पहुँच गया है। इन आंकड़ों से ही देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल जाती है। महंगाई और महामारी के दौर में भी सरकार जमाखोरी व कालाबाजारी करने वालों को संरक्षण दे रही है। सरकार की देशी व विदेशी पूंजिपतियों के हित साधने वाली नवउदारीकरण की नीतियां लागू कर रही है। पेट्रोलियम पदार्थों का मूल्य विनियन्त्रण भी इसी के तहत किया जा रहा है।

उन्होंने मांग की कि पेट्रोल व डीजल में लिए जा रहे केन्द्रीय उत्पाद कर को पूरी तरह खत्म किया जाये, गरीबों को मुफ्त राशन वितरण को बंद करने के फैसले को वापस लिया जाये,  प्रदेश में राशन डिपुओं में दालें, खाद्य तेल व अन्य खाद्य वस्तुओं के दामों में की गई वृद्धि वापस ली जाये। इसके अलावा आयकर सीमा से नीचे के सभी परिवारों को 6 महीने तक 7500 रूपये प्रति माह नकद सहायता प्रदान करो सभी गरीब व जरूरतमंद लोगों को प्रति माह 10 किलोग्राम खाद्यान्न व इसके साथ ही दालें, खाद्य तेल, चीनी, मसाले, चाय आदि मुफ्त उपलब्ध करवाए जाएँ। पिछले साल की गई भारी भरकम बस किराया वृद्धि को वापस लो। तथा बिजली व पानी की दरों को कम किया जाये। 

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हमारे संघर्ष के बाद जोगिंदर नगर अस्पताल में डॉक्टरों के रिक्त पद भर दिये गए हैं। लेकिन चौंतड़ा पीएचसी एक ही डॉक्टर के सहारे चल रही है। उन्होंने मांग कि चौंतड़ा की आबादी को ध्यान में रखते हुए यहाँ पर एक महिला डॉक्टर तथा एक अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति शीघ्र की जाये। यदि डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई तो वे आंदोलन को तेज कर देंगे।  उन्होंने कहा कि किसानों को समय पर खाद नहीं मिल रही है तथा सरकार ने किसानों की सारी सबसीडियाँ छीन कर खाद का बैग किसानों को 1600 रुपए में मिल रहा है।  उन्होंने कहा कि तीन महीने से मनरेगा में काम करने वालों को मजदूरी नहीं मिली है। सबको 120 दिन का काम सुनिश्चित किया जाये तथा तीन महीने से विलम्बित मजदूरी का शीघ्र भुगतान किया जाए।
इस अवसर पर रविंदर कुमार और नीलम वर्मा ने कहा कि डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए तथा किसानों व आम जनता की मांगों को लेकर चौंतड़ा क्षेत्र में भविष्य में बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।

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