◆संयुक्त निदेशक ने कहा नहीं है घबराने की बात
पालमपुर, प्रवीण शर्मा
पालमपुर लाहला के भेड़ पालक रमेश कुमार और सिध्दराम जिनके लगभग साढे छ सौ के करीब भेड़ और बकरी हैं तथा वह पूरे प्रदेश में घुमंतू भेड़ पालकों के तरह भ्रमण करते हैं और इस समय जिला कांगड़ा के समीप रानीताल में ठहरे हुए हैं । उनकी भेड़ बकरियों को मुंह खुर की बीमारी लगने से यह घुमंतू भेड़ पालक काफी घबराए हुए हैं तथा उनका कहना है कि इस संबंध में सरकार या विभाग उनकी मदद करे ताकि वह अपनी भेड़ बकरियों को इस बीमारी से बचा सकें हालांकि इस विषय पर विभाग को जानकारी मिलने के पश्चात विभाग द्वारा डॉक्टरों को वहां पर भेजा गया है । लेकिन इन्होंने इसे महामारी घोषित करने की मांग की है।
हालांकि इस विषय पर अगर वैज्ञानिक तथ्य को जाने तो यह बीमारी कोई जानलेवा नहीं है । लेकिन यह बीमारी हवा के माध्यम से फैलती है। जिसके कारण यह बड़ी जल्दी जानवरों को चपेट में लेती है। जहां यह बीमारी फैलती है वहां तेजी से आगे बढ़ती है जहां यह बीमारी फैलती है वहां पर 3 किलोमीटर क्षेत्र तक वैक्सीनेशन भी तुरंत नहीं की जाती है। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन उपलब्ध करवा दी गई है।
क्या है इसका तुरंत बचाव
इस बीमारी से अपने जानवरों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि सबसे पहले हल्दी और नारियल का तेल पशुओं को मुंह में लगाना चाहिए जहां मुंह में छाले पड़े होते हैं तथा उसके पश्चात जहां पैरों में छाले पड़े होते हैं या जिसे खुर भी कहा जाता है वहां पर फिनाइल और पानी को मिलाकर लगाना चाहिए।
क्या कहते हैं रविंद्र कुमार ब्लॉक समिति सदस्य लाहला
घुमंतू भेड़ पालकों में यह बीमारी लगातार फैल रही है जिसके कारण सरकार को इस विषय पर प्रयास करने चाहिए और इसे महामारी घोषित करना चाहिए।
क्या कहते हैं रवि प्रकाश संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग।
इसे महामारी घोषित तो नहीं किया जा सकता। लेकिन इसके बचाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और यह बीमारी जानलेवा नहीं है वैक्सीनेशन उपलब्ध हो चुकी है। लेकिन जहां पर यह बीमारी फैलती है वहां पर उस पशु को ठीक होने के पश्चात यह वैक्सीनेशन की जाती है जो भी यह समस्या है इसे ठीक कर लिया जाएगा।
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