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किसने काटा चेतन बरागटा का टिकट, भाजपा के अंदर शुरू हुई अंतर्कलह,संगठन मंत्री पवन राणा के विरुद्ध हुआ एक धड़ा

◆अगर जिताऊ उम्मीदवार चेतन तो क्यों काटा  टिकट शुरू हुई चर्चा

◆मंडी से महेश्वर को टिकट देते तो होती जीत दर्ज

◆संगठन मंत्री पवन राणा के विरुद्ध हुआ एक धड़ा

शिमला,प्रवीण शर्मा
भाजपा को उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के भीतर अंतर्कलह शुरू हो गई है और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात को लेकर चर्चा है कि जब जिताऊ उम्मीदवार चेतन बरागटा था और उसे काफी समय से मुख्यमंत्री द्वारा चुनाव के लिए तैयार भी किया जा रहा था। क्या कारण रहे की अंत समय में मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा की सब कुछ उनके हाथ में नहीं है कहीं न कहीं इस विषय को लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है । 
वैसे तो उपचुनावों में भाजपा चारों खाने चित हुई है लेकिन जुब्बल कोटखाई की हार इसलिए बड़ी है क्योंकि वहां पर जो उम्मीदवार दिया गया उसकी जमानत जब्त हुई है तथा चेतन बरागटा ने अपना कद वहां पर भारतीय जनता पार्टी को दिखाया है।  एक बात तो तय है कि अगर चेतन बरागटा को वहां से टिकट दिया जाता तो निश्चित तौर पर भाजपा वहां पर जीत दर्ज करती और इस तरह से शर्मनाक हार नहीं देखनी पड़ती । 
ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चेतन बरागटा के टिकट काटने में कहीं ना कहीं संगठन मंत्री पवन राणा को भी दोषी ठहराया जा रहा है। लेकिन इस विषय पर कोई भी पुष्टि नहीं है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी में आज एक धड़ा अंदर खाते संगठन मंत्री पवन राणा से नाराज चल रहा है और ऐसी चर्चा है कि महेश्वर सिंह का टिकट काटने में भी संगठन मंत्री की अहम भूमिका रही है। अगर मंडी से महेश्वर सिंह को टिकट दिया जाता तो निश्चित तौर पर भाजपा वहां पर जीत दर्ज करती, और जुब्बल कोटखाई में भी चेतन बरागटा जीत दर्ज करते । 
अब जुब्बल कोटखाई में किसके द्वारा टिकट काटा गया यह यक्ष प्रश्न है । लेकिन इन दोनों जगह भाजपा को मिली करारी शिकस्त कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए संजीवनी बन रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री को कमजोर करने के लिए इन टिकटों को काटा गया। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है। लेकिन इस संबंध में चर्चा आज सुनी जा रही है तथा भाजपा हाईकमान भी इस प्रकार से लगे कलंक की विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त होना, और केंद्र तथा प्रदेश में भाजपा सरकार होने के बावजूद एक प्रत्याशी की जमानत ना बचा पाना बहुत बड़ी भाजपा के लिए प्रश्न चिन्ह बना हुआ है । ऐसा माना जा रहा कि आने वाले समय में कांग्रेस के लिए भाजपा ने थाली में परोस कर एक ऐसी चर्चा दे दी है जिसकी भरपाई कर पाना बहुत मुश्किल होगा। 

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