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100 दिन से भूख हड़ताल पर करुणामूलक संघ, सरकार नही ले रही सुध

◆सरकार इन परिवारों की सुध लेने नहीं आई अभी तक नहीं आई

शिमला। रिपोर्ट

करूणामुलक संघ  प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार, की अध्यक्षता में आज करुणामूलक संघ के क्रमिक भूख हड़ताल के 100 पूरे करते ही प्रदेश में नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह  प्रदेश का सबसे बड़ा धरना प्रदर्शन है।वर्तमान सरकार ने अभी भी इन परिवारों की सुध लेने नहीं आई है। इन परिवारों ने शिमला में कालीबाड़ी मंदिर के रेन सैड मैं 100 दिन पूरे किए इन परिवारों ने सभी त्यौहार नवरात्रि, रक्षाबंधन, भैया दूज व दीपावली जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इतने बड़े त्यौहार इन परिवारों ने यहीं पर मना लिए। परंतु सरकार इन परिवारों को अनदेखा कर रही है। हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा महा धरना प्रदर्शन चल रहा है। उपचुनाव हो जाने के बाद भी सरकार इन करुणामूलक परिवारों की तरफ कोई सकारात्मक फैसला नही ले पा रही है। 
अजय कुमार का कहना है कि 8 तारीख को होने वाली केबिनेट मीटिंग में प्रदेश सरकार इन करुणामूलक परिवारों के लिए विशेष फैसला ले और इन सब को वन टाइम सेटेलमेंट दी जाये। उन्होंने बताया कि करूणामुलक आधार पर सरकारी नौकरीयों देने के मामलों पर अभी सरकार कोई अंतिम फैसला नही ले पाई है।
जबकि सरकार के पास विभिन्न  विभागों में 4500 से ज्यादा मामले है। प्रभावित परिवार करीब 15 से 20 सालों से नौकरीयों का इंतजार कर रहें है। उन्होने बताया कि कई विभागों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार दर दर की ठोंकरें खाने को मजबुर है।  हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे आश्रित, लेकिन आश्वासनों के सिवा आज दिन तक कुछ हाथ नही लगा है। 

करूणामुलक आश्रितों का कहना है कि उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी नही करता है इन के परिवारों की आर्थिक स्थिती अच्छी नही है। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य मांगों में समस्त विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नोकरियों के केसों को  वन टाइम सेटलमेेंट के तेहत सभी को एक साथ नियुक्तियाँ दी जाएं। करुणामूलक आधार पर नोकरियों वाली पॉलिसी में संसोधन किया जाए व उसमे Rs 62500 एक  सदस्य सालाना आय सीमा शर्त को पूर्ण रूप से  हटा दिया जाए। योग्यता  के अनुसार आश्रितों को बिना शर्त के सभी श्रेणीयो में नौकरी दी जाये । 5% कोटा शर्त को हटा दिया जाए ताकि विभाग अपने तौर पर नियुक्तियाँ दे सके। जब किसी महिला आवेदक की शादी हो जाती है तो उसे पॉलिसी से बाहर किया जाता है, इस शर्त को भी हटाया जाये। जिनके कोर्ट केस वहाल हो गए हैं, उन्हे भी नियुक्तियाँ दी जाए। बता दें कि करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के मामला दिन प्रतिदिन जोर पकड़ता जा रहा हैं। पर अभी तक सरकार अपना रवैया स्पष्ट नही कर पायी है। जवकि  सरकार के  पास विभिन्न विभागों में करुणामूलक के लंबित करीब 4500 से ज्यादा मामले पहुंचे हैं और प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।

प्रमुख विभागों में लंबित करुणामूलक मामले

गृह विभाग 400 से अधिक, आईपीएच 350, लोक निर्माण विभाग  500, बिजली बोर्ड लगभग 790, वन कॉर्पोरेशन    लगभग 150, पुलिस  विभाग लगभग 400, हिमाचल पथ परिवहन निगम 200, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लगभग 68,
एलीमेंटरी शिक्षा लगभग 300, उच्च शिक्षा लगभग 125,
स्वास्थ्य विभाग लगभग 200, जल शक्ति विभाग लगभग 350 और बाकी अन्य विभागों में भी काफी समय से मामले लंबित पड़े हैं।



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