धर्मपूर, रिपोर्ट
पूर्व उपाध्यक्ष केंद्रीय छात्र संघ (SCA) हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं पूर्व पंचायत समिति अध्यक्ष धर्मपूर, मण्डी हि.प्र. कुलदीप सिंह चम्बयाल ने बताया कि विश्वविद्यालय के द्वारा अध्यापकों के बच्चों को पीएचडी दाखिलों में अनुचित तवज्जो देना आम छात्रों के साथ साथ उनके अभिभावकों के साथ धोखा है और संविधान के अंतर्गत समानता के अधिकार के विरुद्ध भी है । अभिभावक पूरी जिंदगी केवल इस लिए संघर्ष करते हैं ताकि उनके बच्चे हर क्षेत्र में ऊंचाई तक पंहुचे लेकिन हि.प्र. विश्वविद्यालय में जो हुआ वो अति दुखद, निंदनीय और आपत्तिजनक है एक तरफ जहां आम छात्र होस्टल सुविधाओं के अभाव में किराए के कमरों में रहकर नेट/जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं बावजूद इसके वो पीएचडी में कम सीटों के चलते दाखिला लेने से वंचित रह जाते हैं ।
कुलदीप सिंह चम्बयाल ने कहा कि सरकार को इस मसले में कड़ा संज्ञान लेना चाहिए और सभी विभागों में पीएचडी की सीटें बढ़ाने की मांग कर रही है वहीं विश्वविद्यालय में कार्यरत अध्यापकों के लाडलों को बिना नेट/ जेआरएफ व प्रवेश परीक्षा के दाखिला देना आम छात्र के साथ धोखा है , अन्याय है तर्क संगत नहीं है और भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के विरुद्ध भी है , साथ ही साथ यह फैसला यूजीसी के नियमों की भी सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है ।
कुलदीप सिंह चम्बयाल ने कहा सरकार 4 वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में कुछ भी अच्छा नहीं कर पाई है एक तरफ जहां छात्र हित के विरुद्ध फैसला लेना हो तो सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इन्हीं नियमों व कानूनों का हवाला देता है किंतु जब बात अपने लाडलों को दाखिले देने की आती है तो इन्हीं नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाता है।
उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन तुरंत नहीं बदलता है तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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