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सरकार के खिलाफ 11अक्टूबर को मंडी में हल्ला बोलेंगे डिपो संचालक

उपचुनाव में सरकार को मुश्किल में डाल सकती है डिपो संचालकों की जुगलबंदी

कोरोना दौर में प्रोत्साहन देने के बजाए सरकार ने दी प्रताड़ना-कवि


पधर(मंडी)। कृष्ण भोज 
प्रदेश भर के डिपो संचालक स्थाई नीति की मांग पूरी न किए जाने के बाद प्रदेश सरकार के खिलाफ उग्र हो गए हैं। ऐसे में डिपो संचालकों ने आगामी 11अक्टूबर को मंडी में प्रांतीय सम्मेलन आयोजित कर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की योजना बनाई है। 
मंडी लोकसभा के साथ विधानसभा उप चुनाव के दौर में डिपो संचालकों का प्रांतीय सम्मेलन करना और सरकार की खिलाफत करना सत्तापक्ष को मुसीबत में डाल सकता है। 
प्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा कि प्रदेश में 5036 डिपो संचालक हैं। जिनमे बहुत सारे डिपो संचालक पंचयतों का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं। डिपो संचालक समिति समय समय पर सरकार को अपनी मांगों से अवगत करवाती आ रही है। लेकिन प्रदेश सरकार हमेशा डिपो संचालकों की मांगों को अनसुना करती आई है। 
डिपो संचालकों का प्रोत्साहन देने के बजाए हताश और निराश करने का काम किया है। 
जिसके चलते प्रदेश के सभी डिपो संचालक  सरकार से खफा हैं। कोरोना काल में जान की परवाह किए बगैर डिपो संचालकों ने लोगों के बीच रहकर सेवाएं दी हैं। इस कठिन दौर में दस डिपो संचालकों की कोरोना से मौत हो गई। बावजूद इसके सरकार ने डिपो संचालकों के हित में कोई कदम नहीं उठाया।

अशोक कवि ने कहा कि प्रदेश के निजी डिपो धारक अपना पैसा लगाकर निगम के गोदामों से राशन ला लोगों को वितरित करते हैं। राशन रखने के लिए दुकानें भी किराए पर लेते हैं। जिसके किराए और बिजली बिल का भुगतान भी स्वयं कर रहे हैं।
सरकार इसके बदले में एपीएल व एपीएलटी के राशन पर मात्र 3% कमीशन देकर डिपो संचालकों के साथ भद्दा मजाक कर रही है।
दूसरी ओर सहकारी सभाओं की प्रबंधक समितियां भी अपने विक्रेताओं व विक्रेता के साथ साथ सचिव का कार्य देख रहे अपने कर्मचारियों को सरकार द्वारा बनाए गए सेवा नियमों के तहत वेतन न देकर कर्मचारियों का शोषण कर रही हैं। अवगत करवाने बावजूद सहकारिता विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।  
वहीं खाद्य आपूर्ति मंत्री और मुख्यमंत्री को भी अपनी मांगों बारे बार बार अवगत करवाने पर भी कोई सुनवाई नही हुई। 
अधिकांश निगम के गोदामों से डिपो संचालकों को राशन तोल कर नहीं दिया जाता है। जिससे डिपो संचालकों को गोदामों से कम राशन मिलने पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। प्रदेश में अधिकतर निगम के गोदामों में भार तोलने के लिए वेट मशीनें तक नहीं हैं। 
इसकी शिकायत भी समिति कई मर्तबा विभागीय मंत्री से कर चुकी है। लेकिन आज तक सरकार और विभाग द्वारा से इस मसले पर कोई कार्रवाई नही की गई है। 
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन 11 अक्टूबर को मंडी में प्रांतीय सम्मेलन करने जा रही है। इस दौरान हजारों डिपो संचालक सरकार के खिलाफ हुंकार भरेंगे। उपचुनाव ही नही अपितु 2022 के चुनावों में भी सरकार को डिपो संचालकों की अनदेखी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।


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