भाषण मे सोनिया और कविता में अंकिता फर्स्ट
विद्या की देवी मां सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना से कार्यक्रम का आगाज
पधर(मंडी),कृष्ण भोज
राजकीय महाविद्यालय द्रंग स्थित नारला में राष्ट्रीय हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज प्राचार्य डॉ. बंदना वैद्य ने की। इस दौरान विद्या अधिष्ठात्री मां सरस्वती की दीप प्रज्वलन कर विधिवत पूजा अर्चना की गई।
कार्यक्रम में राजभाषा हिंदी की वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व और प्रासंगिकता विषय पर विद्यार्थयों द्वारा भाषण एवं कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
भाषण प्रतियोगिता में राजभाषा हिंदी से सबंधित विषयों जैसे कि हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में, हिंदी संघ की भाषा के रूप में और वर्तमान में हिंदी की दिशा और दशा इत्यादि विषयों पर विद्यार्थियों ने विचारों का आदान प्रदान किया।
भाषण प्रत्रियोगिता में सोनिया प्रथम, सुनीता द्वितीय और राहुल राणा तीसरे स्थान पर रहे।वहीं कविता पाठ प्रतियोगिता में विद्यार्थियों द्वारा राजभाषा हिंदी विषय पर स्वरचित कविता का वाचन किया गया। जिसमें अंकिता प्रथम, दीक्षा द्वितीय और सुनीता तीसरे स्थान पर रही।
भाषण और कविता पाठ प्रतियोगिता के नीर क्षीर निर्णय हेतु महाविद्यालय के प्राध्यापकों डॉ. वंदना देवी, प्रो. याचना और डॉ. दीपाली अशोक द्वारा निर्णायक मंडल की भूमिका का निर्वहन किया गया। प्रतियोगिताओं के समापन बाद महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्राध्यापक एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रो. राज कुमार जम्वाल द्वारा सर्वप्रथम प्राचार्या डा. बंदना वैद्य का कार्यक्रम में पधारने पर हिंदी विभाग की ओर से स्वागत किया गया। उन्होंने हिंदी दिवस की महत्ता पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं बल्कि मातृभाषा भी है। जिसका सम्मान, प्रचार, प्रसार, प्रयोग, और मूल्यांकन करना वर्तमान परिदृश्य में हम सभी का दायित्व ही नहीं है अपितु आवश्यकता भी है।
आज हम नवीन परिवर्तनों को अपनातें हुए हिंदी भाषा को परिष्कृत कर वर्तमान समय के अनुकूल, सहज और सुगम बनायें जिसमें विभिन्न विदेशी साहित्य का हिंदी भाषा में अनुवाद और नए शब्दों का हिंदी भाषा में समायोजन प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्राचार्या डा. बंदना वैद्य ने भी हिंदी दिवस पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में कहा कि हिंदी भाषा का हमारे देश के उत्थान में न केवल महत्वपूर्ण योगदान है बल्कि पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में भी पिरोया है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि विद्यार्थी जीवन में चाहे किसी भी भाषा को पढ़े या अपनी आजीविका की भाषा बनाएं। लेकिन अपनी मातृभाषा के प्रयोग को न भूले। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शिक्षक, गैर शिक्षक वर्ग और लगभग 150 विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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