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युवाओ को तम्बाकू निषेध कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला का आयोजन

कोटपा एक्ट 2020 में सुधार को लेकर युवाओ की आवाज एकजुट

बड़ूखर(अश्वनी चौधरी)

नाड़ा इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से राजकीय महाविधालय में युवाओ को तम्बाकू निषेध कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें सरकारी भवनों के  100 मीटर दायरे में बिक रहे तम्बाकू पदार्थो की समस्या और अधिनियम के तहत बदलाबो की पैरवी की गई ।नाडा इंडिया फाउंडेशन एक युवा आधारित संगठन है जो समुदाय आधारित पहलों के एक नेटवर्क को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है, हाशिए पर और कमजोर आबादी विशेषकर किशोरों और युवाओं के बीच सशक्त नेतृत्व और स्वास्थ्य विकल्प विकसित करता है।  नाडा यंग इंडिया नेटवर्क नेहरू युवा केंद्र/राष्ट्रीय सेवा मिशन के साथ तंबाकू के प्रभाव  को कम करने के लिए सहयोग कर रहे हैं   । नाडा यंग इंडिया नेटवर्क (एनवाईआईएन) के माध्यम से, हम युवाओं के बीच स्वास्थ्य साक्षरता की खाई को पाटने का प्रयास करते हैं और उनकी व्यक्तिगत और सामुदायिक भलाई में सुधार करने के लिए नेतृत्व और कार्य करने में उनकी मदद करते हैं।
इस दौरान बताया गया कि मृत्यु के छह से आठ मुख्य कारणों में से एक प्रमुख जोखिम कारण तंबाकू उपयोग है जिससे लगभग 40 प्रतिशत गैर संचारी रोग होते है जिनमें कैंसर, हृदय रोग तथा फेफड़े की बीमारी मुख्य है। इस तरह, तंबाकू सेवन के परिणामस्वरूप होने वाली मौतों और रुग्णता का भार भारत में सबसे ज्यादा है। भारत में हर साल तंबाकू के उपयोग के कारण होने वाली मौतों की संख्या लगभग 13.5 लाख,  भारत में ई सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने हेतु एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक कानून बनाया जिससे भारत की युवा आबादी का भविष्य गंभीरता से प्रभावित हो सकता था। तंबाकू उत्पादों की पैकिंग पर 85% ग्राफिक स्वास्थ्य चेतावनी की शुरुआत ने भारत को तंबाकू नियंत्रण के मामले में अग्रणी स्थिति में रखा है।

हिमाचल प्रदेश में 1.53.3% धूम्रपान करने वालों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता द्वारा धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी गई और 27.9% धूम्रपान रहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं को स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता द्वारा धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग छोड़ने की सलाह दी गई।
इस दौरान बताया कि हम आपका ध्यान इस तथ्य पर आकर्षित करना चाहते हैं कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों से संबंधित भारत के राष्ट्रीय कानून, कोटपा - सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 का कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव परिलक्षित हो रहा है पर अभी भी ऐसे कई पहलू हैं जिन्हें संशोधित और सशक्त  बनाए जाने की आवश्यकता है। इस प्रकार के संशोधन हमें फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के अंतर्गत हमारी वैश्विक प्रतिबद्धताओं को बेहतर तालमेल में लाएंगे और भारत की युवा आबादी को तंबाकू के खतरे से बचाने के मामले में ज्यादा प्रभावी होंगे। 


उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हम विशेषतः आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि  भारतीय संसद मे  देश और उसके युवाओं के स्वास्थ्य हित में निम्नलिखित संशोधन विचार करना चाहिए 

कोटपा 2003, में वर्तमान में कुछ सार्वजनिक स्थलों (रेस्त्रां, होटल और हवाई अड्डों) पर धूम्रपान की अनुमति है। यह निर्धारित धूम्रपान स्थल के रूप में है। हमारा मानना है कि सभी होटलों, रेस्त्रां और यहां तक कि हवाई अड्डों पर भी इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए और 100% धुंआ मुक्त वातावरण सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकिनिर्धारित धूम्रपान क्षेत्र (डीएसए) कोटपा अधिनियम के अनुसार नहीं है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए भारी जोखिम पूर्ण है और दूसरे लोग अप्रत्यक्ष धुंए का शिकार हो रहे हैं। 


समय आ गया है कि हम बिक्री वाली जगह पर तंबाकू उत्पाद के किसी भी तरह के विज्ञापन और डिसप्ले को प्रतिबंधित करें क्योंकि ये ऐसे स्थान हैं जो युवाओं एवं बच्चों को तंबाकू उत्पादों को प्रयोग करने के लिए आकर्षित और प्रभावित करते हैं।
कोटपा अधिनियम के अंतर्गत धाराओं का उल्लंघन होने पर जुर्माने एवं दंड की धन राशि बहुत ही कम एवं अपर्याप्त है जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है। 


कोटपा धारा6(a)में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति 18 साल से कम के किसी भी व्यक्ति को सिगरेट या कोई अन्य तंबाकू उत्पाद नहीं बेचेगा, न ही बेचने की पेशकश करेगा या बेचने की अनुमति देगा। कोटपा धारा6(a)में संशोधन की  आवश्यकता है और सिगरेट व तंबाकू उत्पादों की बिक्री हेतु न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल की जानी चाहिए। 

इस उपलक्ष पर इस सेमिनार में मुखय  रूप से न्यू यंग इंडिया नेटवर्क से सदस्य और कॉलेज प्रशासन मुख्य रूप से उपस्थित रहा ।

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