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दिव्यांग होने और भी नही टूटा प्रदीप का हौंसला,यू वी आई एम टीम ने प्रदीप कुमार को दिया चारपहिया स्कूटर,

बैजनाथ रितेश सूद

प्रदीप कुमार सुपुत्र स्व प्रताप सिंह गांव मत्याल खुर्द डाकघर मत्याल तहसील बैजनाथ को यू वी आई एम टीम ने दिव्यांग प्रदीप कुमार को दिया चारपहिया स्कूटर भेंट किया। टीम के संस्थापक डॉक्टर निशांत महाजन ने बताया कि प्रदीप कुमार 75% दिव्यांग हैं, प्रदीप कुमार का जन्म 1979 चढियार में हुआ था, जो बचपन में बिल्कुल ठीक ठाक था,प्रदीप की माता ने बताया कि जब यह 9 महीने का था, तो इन्हें बहुत तेज बुखार आया,और पोलियो के कारण इनकी दोनों टांगें बेकार हो गई ।इनके माता-पिता जी ने इनका बहुत ईलाज करवाया नीम, हकीम, डॉक्टर, तान्त्रिक, हर किसी से दिखाया। परन्तु यह ठीक न हो सके । 
प्रदीप के पिता एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर थे उन्होंने इसके ईलाज के लिए पूरी जमा पूंजी लगा दी परन्तु ये ठीक नही ही सका ,पर प्रदीप ने  हिम्मत नहीं हारते हुए हाथों और घुटनों के सहारे चलना सीख लिया। जिसके बाद प्राइमरी स्कूल चढियार में दाखिला लिया पर स्कूल इनके घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर था ,परंतु उस समय सड़क न होने के कारण  इनकी माता  हर रोज इ पीठ पर बैठाकर स्कूल ले जाती और शाम को लेआत,जिसके बाद प्रदीप ने  दसवी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर ली,आगे की पढ़ाई करना मुश्किल था क्योंकि स्कूल बहुत दूर था, दसवी करने के दो साल बाद जमा दो  के प्राइवेट पेपर दिए पर फेल हो गए परंतु हार नही मानी और  फिर पेपर दिए और पास भी हुए,प्रदीप ने बताया कि उसके बाद उसके पिता नौकरी से रिटायर्ड हो गए, एक दिन जब पिता  घर की मुरम्मत करवा रहे थे, तो वह छत से गिर पड़े ओर उनकी एक टांग बेकार हो गई। 
उनकी टांग के ईलाज में रिटायरमेंट में मिलें पैसे भी खत्म हो गये। कुछ समय बाद उन्होंने बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया,और एक बकरी ले आए, धीरे धीरे बकरीया बढ़ने लगी, साथ में एक भैंस भी रख ली जिससे हमारा गुज़ारा चल पड़ा। प्रदीप ने बताया कि कुछ दिनों बाद उनके पिता बिमार हो गये,उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया अब घर की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई ,मैं और माता  उनकी देखभाल करते,घर के  हालात ठीक न होने के  मनरेगा में दिहाड़ी भी करता। प्रदीप ने बताया कि उसके बाद उसकी  मेरी भानजी ने  एक मोबाइल दिया, उस मोबाइल मैंने अपनी फेसबुक आईडी बनाई। जिससे मेरी मित्रता अमित ठाकुर  (चम्बा) से हुई। उन्होंने एक दिन मुझे बताया भाई कि व्हीलचेयर किक्रेट टीम बन रही है, आपको भी हमारे साथ आना पड़ेगा। साल 2018 चंडीगढ़ व्हीलचेयर किक्रेट के ट्रायल के लिए गया और मेरा सेलेक्शन भी हो गया।प्रदीप ने बताया कि उस समय पिता बहुत खुश हुए जब उन्हें पता चला कि वो किक्रेट टीम में सलेक्ट हो गया हूं,प्रदीप ने बताया कि दिसंबर 2018 को मेरे पिता का देहात हो गया,फिर वर्ष 2019 में पैरा गेम्स के लिए मैं हमीरपुर गया, जहां राज्य स्तरीय खेल थे,वहां  तीन गोल्ड मेडल जीते, वहां से मैंने राष्ट्रीय स्तर जाना था परन्तु करोना आ गया,जिस कारण नही जा पाया।प्रदीप ने बताया कि एक दिन मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलूंगा ओर अपने राष्ट्र के लिए मेडल लाऊंगा। प्रदीप ने बताया कि कुछ समय पहले उसने शादी कर ली है। मैंने नोकरी के लिए बहुत प्रयास किया कई बार मुख्यमंत्री से मिला पर नोकरी नही  मिल सकी बहुत प्रयासों के बाद अपने गांव में छोटी सी दूकान खोली उससे अपना व परिवार का खर्च चला रहा हूं पर वहाँ आने जाने में भी काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।टीम को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने उसके घर से दुकान जाने के लिए स्कूटर की व्यवस्था कर दी।
डॉक्टर निशांत ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति प्रदीप की कोई भी सहायता करना चाहता है तो वो मोबाइल नंबर 7534800000 में सपंर्क कर सकता है।

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