जयसिंहपुर,हरी दास
बैजनाथ के वही गांव की रहने बाली निर्मला ठाकुर जी का जन्म सन 1947 में श्याम सिंह कुठियाल के घर टटैहल में हुआ । इनका 12,13 की उम्र में बाल विवाह हो गया था |
इनके तीन बच्चे हुए दो लड़कियां एक लड़का |
मात्र 26 बर्ष की आयु जब इनकी थी तो इनके पति का स्वर्गवास हो गया।
अब बच्चों को पालने की कठिन चुनौती इनके सामने थी ,और यह इनके लिए इतना आसान नहीं था अकेली औरत के लिए
मगर इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निकल पड़ी अपने उद्देश्य की ओर इन्होंने ब्लॉक के माध्यम से सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाया, अपने साथ महिलाओं को जोड़ा हर महिला को काम करने के लिए 300रु प्रति महिला लोन दिलवाया।
खुद आटे की चक्की लगवाई, गाय पाली, ट्रेनिंग लेकर स्वैटर, कोटि बनाने का कार्य किया । अपने बच्चों की अच्छे तरीके से परवरिश और अच्छी शिक्षा दिलानी शुरु की । इस दौरान उनकी जमीन का मुकदमा चल रहा था । 10 साल मुकदमा लड़कर जमीन को छुड़वाया।
उसके बाद सरकार द्वारा संचालित प्रौढ़ शिक्षा केंद्र में काम किया और गांव गांव में कई प्रौढ़़ महिलाओं और पुरुषों को शिक्षित किया और बच्चों के लिए अपना बाल शिक्षा केंद्र खोला।
इसके बाद धौलाधार चुल्हों की ट्रेनिंग करके गांव गांव में लोगों के घरों में धौलाधार चुल्हे बनवाये ।
1979 में हैल्थ से संबंधित CHB ट्रेनिंग लेकर 50 रु प्रति महीना लेकर 25 बर्ष गांव गांव में कार्य किया ।
इन्होंने अपने तीनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है ।
आज भी 74 बर्ष की आयु में गांव वही बैजनाथ में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र में लोगों के बीच पूर्ण रूप से सक्रीय होकर कार्य कर रही हैं और लोगों की हरसंभव मदद में आगे रहती हैं।
उनका सशक्त और सुदृढ़ जज्बे से भरा जीवन हर उस महिला और युवतियों के लिए दिशा दिखाने का कार्य कर रहा है जो छोटा सा कष्ट आने पर हार मान कर थक कर बैठ जाती हैं |
उनका संदेश है कि
हार न मानना राह में ऐ राही।
क्योंकि मंजिल उसी को मिला करती है जो चलना जानते हैं ।
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