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लाहौल घाटी में आपदा के समय त्वरित कार्रवाई के लिए गठित होगी स्थानीय टीम

👉वॉलंटियरों को करवाया जाएगा पर्वतारोहण के बुनियादी कोर्स के अलावा सर्च एंड रेस्क्यू पर आधारित प्रशिक्षण कोर्स  

केलांग,रिपोर्ट

 जनजातीय लाहौल क्षेत्र में आपदा के समय त्वरित आपदा प्रबंधन को सुनिश्चित करने के दृष्टिगत लाहौल-स्पीति  जिला प्रशासन ने पहल करते हुए कार्य योजना पर कवायद शुरू कर दी है। भौगोलिक विषमताओं और मौसम की दुश्वारियों के चलते घाटी में आपदा प्रबंधन को लेकर दिक्कतें भी पेश आती रही हैं। हालांकि आपदा के बाद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा हर संभव मदद तुरंत मुहैया की जाती रही है। लेकिन आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ या अन्य एजेंसी की टीमों के आगे यही भौगोलिक परिस्थितियां या मौसम बाधा बन जाता है और खोज, बचाव और राहत के कार्यों को शुरू करने में त्वरित प्रतिक्रिया नहीं हो पाती। इन्हीं परिस्थितियों को केंद्र में रखकर अब जिला प्रशासन ने डीडीआरएफ( जिला आपदा प्रतिक्रिया बल) के तौर पर 30 प्रशिक्षित वॉलंटियरों की टीम गठित करने का फैसला लिया है जो किसी आपदा की सूरत में त्वरित प्रतिक्रिया का दायित्व संभालेगी। 


लाहौल-स्पीति के उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन आथॉरिटी नीरज कुमार ने बताया कि यूएनडीपी के सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत इस वर्ष पर्वतारोहण के बुनियादी कोर्स के अलावा सर्च एंड रेस्क्यू पर आधारित कोर्स भी करवाया जाएगा। इस टीम में स्थानीय वॉलंटियरों को शामिल किया जाएगा ताकि वे प्रशिक्षित वर्कफोर्स के रूप में आपदा के समय कार्रवाई को अंजाम दे सकें। प्रशिक्षण के लिए इन वॉलंटियरों को लाहौल घाटी के परियोजना क्षेत्र से चयनित किया जा रहा है। उन्होंने  कहा कि आपदा के समय ये स्थानीय टीम निश्चित तौर पर अहम भूमिका निभाएगी। 

उन्होंने यह भी बताया कि वॉलंटियरों का चयन करके इसकी सूची जल्द वन मंडल अधिकारी लाहौल वन मंडल को भेजी जा रही है ताकि उनका 

प्रशिक्षण शुरू किया जा सके।

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