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आरक्षण के बाद भी 12 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार क्यों : शांता कुमार

👉कहा..  गरीबी का कलंक मिटाने के लिए देश करे कोई क्रन्तिकारी निर्णय 

पालमपुर,रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि आज़ादी के 75 वर्ष में प्रवेश करते हुए जाति आधारित जनगणना की मांग की जा रही है। नीतीश कुमार जैसे नेता भी इस मांग के लिए खड़े हो गये हैं। मुझे लगता है देश के गरीबों को हमेशा के लिए गरीब रखने का यह एक षड्यंत्र है।


उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के अनुसार 19 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोते हैं।  एक अनुमान के अनुसार इनमें 12 करोड़ लोग आरक्षित जातियों के हैं। एक प्रश्न पैदा होता है कि लम्बे समय से आरक्षण के बाद भी यह 12 करोड़ लोग भुखमरी की हालत में क्यों जी रहे हैं।

शांता कुमार ने कहा गरीबों की सहायता के लिए प्रदेश व देश की बहुत योजनाएं चलाई हैं। दिल्ली से सीधे पैसा पंचायतों में पहुंच रहा है। यह दुर्भाग्य है कि असली गरीबों की बहुत कम सहायता होती है। पिछले दिनों सोशल मीडिया में बीपीएल में शामिल लोगों की बड़ी-बड़ी कोठियां दिखाई गई थीं। ठीक यही हालत आरक्षण में हुई है। आरक्षित जातियों में ऊपर के प्रभावशाली नेता व् अधिकारी लाभ उठा रहे हैं। नीचे के गरीब को लाभ नहीं मिल रहा। इसीलिए आरक्षण के बाद भी 12 करोड़ गरीब लोग भुखमरी के कगार पर खड़े हैं।

उन्होंने कहा कुछ दिन के बाद भारत स्वतन्त्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करेगा। देश  के प्रधानमंत्री लालकिले से तिरंगा लहरायेंगे और करोड़ो लोग अपने-अपने घरों पर तिरंगा लहरायेंगे। लेकिन यह याद रखें आजादी के इतने लम्बे समय के बाद भी 19 करोड़ लोग भुखमरी के कगार पर खड़े हैं।  योजनाओं से विकास हुआ है परन्तु सामाजिक न्याय नहीं हुआ। अमीर, अमीर हुआ- गरीब, गरीब हुआ।

शांता कुमार ने कहा आज़ादी के 75वें वर्ष में देश को कोई ऐसा क्रान्तिकारी निर्णय करना चाहिए कि भारत के माथे से गरीबी का यह कलंक दूर हो।

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