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आज करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश ने मनाया अपना 10वां स्थापना दिवस

हमीरपुर, रिपोर्ट

करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश ने  अपना 10वां स्थापना दिवस मनाया। विश्वविद्यालय की स्थापना 7 अगस्त 2012 को भोंरज के टिक्कर खरवाडियां में हुई थी। विश्वविद्यालय अपने 10वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस स्थापना दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर माननीय पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धुमल तथा साथ में भोंरज क्षेत्र की विधायिका व चीफ व्हिप कमलेश कुमारी और ग्रामीण बैंक के चेयरमैन कमलनयन उपस्थित हुई ।


पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धुमल ने विश्वविद्यालय में जैव विविधता पार्क का भी शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि महोदय ने सबसे पहले विश्वविद्यालय में पौधा रोपन किया। इसके उपरांत उन्होंने वि.वि. के छात्रों व रिसर्च स्कॉलरों द्वारा किए जा रहे विभिन्न शोध कार्यो के बारे में प्रदर्शनी के माध्यम से जाना। इसके साथ-साथ उन्होंने हिमाचल प्रदेश की सरकार की मुख्यमंत्री स्टार्टअप स्कीम के अर्न्तगत कार्य कर रहे विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं से वार्तलाप किया। मुख्य अतिथि प्रो. धूमल ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय शिवालिक श्रृखलाओं की वादियों में स्थापित है जो कि देव भूमि में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बन कर उभरा है।


 उन्होंने वि.वि द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ठ कार्यो, अनुसंधान व इनोवेशन पर खुशी प्रकट करते हुए भरपूर सराहना की। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में करियर प्वाइंट वि.वि. एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो कि शिक्षा के साथ-साथ ग्रामीण, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान में निरंतर अग्रसर है। उन्होंने विश्वविद्यालय के उन्नत भारत अभियान व पायोनियर इन्कूयवेशन सेंटर द्वारा किए जा रहे नवाचार के कार्याें, कृषि व बागबानी उत्थान, पौधारोपण और महिला कल्याण के कार्यक्रमों की भी भरपूर प्रशंसा की। उन्होेंने नई पीढ़ी को नशे से आगाह करते हुए कहा कि नशा युवाओं को ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार को अंधेरे की ओर धकेल देता है। इसलिए नशे का त्याग करें जिससे अपना, परिवार व देश के उत्थान में सहयोग दें।



10 वर्षों की यात्रा में करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय ने कई आयाम हासिल किए हैं। विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में उल्लेख करते हुए  कुलपति प्रो. (डा.) के.एस. वर्मा ने अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय की उन्नति को अपने शब्दों में व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय महज 96 विद्यार्थियों, 29 शिक्षकों व गैर शिक्षकों के साथ बढ़ता हुआ आज 1700 छात्रों व 200 के लगभग शिक्षकों व गैर शिक्षकों पहुंच चुका है तथा 2740 विद्यार्थी यहां से उर्तीण हो चुके है। विश्वविद्यालय का मूल उददेश्य ग्रामीण क्षेत्र में बेहतरीण शिक्षा प्रदान करना एवं सामाजिक परिवेश का उत्थान में अपनी सक्रिय भूमिका निभाना है।



विश्वविद्यालय ने 9वीं यूथ साइंस कांग्रेस, इन्कयूवेशन सेंटर में र्स्टाटअप स्थापित करने और मिल्ट्री ट्रेनिंग सेंटर, जर्मन एवं जापानी भाषा को अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है। इसके साथ-साथ माइक्रोसाफट, कोरसेरा जैसी संस्थाओं के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया हुआ है। विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित पुरस्कारों 

इसके साथ-साथ सामाजिक उत्थान, उन्नत भारत अभियान, भारतीय कृषि क्षेत्र में नावार्ड जैसे संस्थानो के साथ मिलकर अपने पथ पर अग्रसर है। इसके साथ गरीव बच्चों की शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय सरकार की तरफ से छात्र-वृतियां भी प्रदान कर रहा है जो कि वर्तमान में 7.5 करोड़ के लगभग दी जा चुकी है जिसमें 300 विद्यार्थी लाभान्वित हुए है। विश्वविद्यालय परिसर में ही जैव विविधता पार्क स्थापित किया गया है जिसमें बटर फलाई पार्क, पोषण पार्क, वनस्पति पार्क और हर्बल पार्क इकाईयां स्थापित हैं।



विश्वविद्यालय के 10वें वर्ष में प्रवेश होने पर कुलाधिपति ने बताया कि विश्वविद्यालय की 2012 में गोपी फाउंडेशन कोटा राजस्थान द्वारा जब नींव रखी गई थी तब से लेकर अब तक उन्नति पथ पर एक ही ध्यये रहा है कि वि.वि. गांमीण परिवेश में उच्चतर शिक्षा अनुसंधान एवं इसके विस्तार को शिक्षा के उतम मूल्यों के साथ बढ़ावा दे सके । इसी का परिणाम है कि वि.वि. आज शिक्षा अनुसंधान एवं नवाचार क्षेत्र में निजि विश्वविद्यालयों में तृतीय स्थान पर है। इसी के तहत वि.वि. को एक करोड़ की अनुदान राशि भी प्राप्त हुई है जो कि आईआईटी मण्डी के बाद विश्वविद्यालय ही है जिसमें स्टार्टअप व इन्ययूवेशन सेंटर अपनी अहम भूमिका अदा कर रहा हैं।


अंत में भारत सरकार के सूचना एंव प्रौद्योगिकी, खेल मंत्री माननीय अनुराग सिंह ठाकुर ने ऑनलाइन माध्यम से जुडकर विश्वविद्यालय के बीते दशक की उपलब्धियों की समीक्षा करते हुए बताया कि यह विश्वविद्यालय छात्रों को नौकरी लेने के साथ -साथ नौकरी देने के लिए भी सक्षम बना रहा है। उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व में छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहरी राज्यों का रूख करना पड़ता था जिससे कि अभिभावकों की जेब पर अत्याधित बोझ पड़ता था। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना से उच्च शिक्षा  शर्मा को राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार, डा. कौशल शर्मा को बौद्विक पुरस्कार, विश्वविद्यालय दोस्त पुरस्कारों को श्रेणी में स्वर्गीय आईडी धीमान पूर्व शिक्षा मंत्री, तीर्थ राम, के.एस. ठाकुर, सुनील ठाकुर, सर्वश्रेष्ठ एल्मयूनाई पुरस्कार की श्रेणी में मिस इशिता शर्मा और निशांत सोनी को दिया गया। उन्नत भारत अभियान के तहत पिछड़े श्रेत्र होने के बाद भी प्रगतिशील होने के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्राम कोट सर्वश्रेष्ठ पंचायत, महल को प्रदान किया गया। मंजू, सुनीता देवी को प्रगतिशील कृषका सम्मान दिया गया।


इसके साथ सरोज गांव बलोह को कम्यूनिटी पुरस्कार,  युद्ववीर एवं टीम सीपीयूएच को कोेरोना योद्वा पुरस्कार और कोरोना काल में अपने शोध कार्य को जारी रखने के लिए मिस दिक्षा, प्रिया, रक्षा और भारती शर्मा को पुरस्कार से नवाजा गया। सर्वश्रेष्ठ तकनीकी विस्तार पुरस्कार रतन चंद एवं बीज उत्पादक पुरस्कार, बलदेव को प्रदान किया गया।  हरिमन शर्मा ने अपने अपने संबोधन में कहा कि उनका शोध 1999 में शुरू हुआ और उन्हें पहली सफलता 2006 में हासिल हुई जो कि एचआरएमएन-99 सेब किस्म जो कि 45 से 47 डिग्री तापमान पर उगती है। इस शोध में प्रो. प्रेम कुमार धूमल जी ने प्रोत्साहित किया तथा प्रो. पी.एल.गौतम के सानिध्य एवं प्रो. के.एस.वर्मा जो उस समय के निर्देशक, बागबानी एवं वाणिकी संस्थान के प्रयासों से एनआईएफ से जुडने में सफलता प्राप्त हुई और इस सफलता के मौकाम तक की यात्रा में इन तीन महानुभावों का बहुत सहयोग रहा। वि.वि. के कुलपति प्रो. के.एस. वर्मा के कर कमलों द्वारा नेशनल इनोवेशन अवार्ड प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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