बीस लाख की लागत से बनाया गया काष्ठ शैली का भव्य मंदिर
भगवान इंद्र की परियों में शुमार है माता नौणी भगवती
मंडी,कृष्ण भोज
वर्षा की देवी के नाम से विख्यात और भगवान इंद्र की परियों में शुमार नौणी भगवती फुटाखल नए मंदिर में विराजमान हो गई। फुटाखल माता नौणी की।
अठारह करंडू स्थली मानी जाती है। माता का नवनिर्मित मंदिर बीस लाख की लागत से काष्ठ शैली से निर्मित किया गया है। फुटाखल को चौहारघाटी के तमाम देवताओं की मूल स्थली के रूप में भी जाना जाता है।
चौहारघाटी के अराध्य बड़ा देव हुरंग काली नारायण, देव कढ़ोनी नारायण, घाटी वजीर देव पशाकोट, वर्षा की देवी फुंगनी भगवती, देव पाइंदल ऋषि, देव सूत्रधारी ब्रह्मा सहित तमाम शक्तिपीठों ने अदृश्य रूप में भगवती के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह में हाजिरी भर कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
इस दौरान फुटाखल स्थली माता केे जयकारों के नारों से गूंज उठा।
नौणी भगवती की मूर्ति चौहारघाटी के तमाम देवताओं के रथों में भी विराजमान है। लेकिन तमाम अराधना, भारथा और मन्नत फुटाखल से ही शुरू होती है।
मंदिर कमेटी का अध्यक्ष रेवत सिंह ठाकुर ने बताया कि भगवती के आदेश पर तीन वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया था। मंदिर निर्माण में सिर्फ लकड़ी, मिट्टी और पत्थर का प्रयोग किया गया है।
जिसके सतह में भगवान गणेश, बिष्णु, इंद्र, नारायण और कृष्ण के भव्य चित्र की नकासी लकड़ी पर की गई है।
सराज क्षेत्र के एक दर्जन कामगारों ने अंतिम रूप दिया। उन्होंने बताया कि मंदिर के साथ भूंगर दादा का मंदिर अलग से निर्मित किया गया है। जो नौणी भगवती का उपासक था। उन्होंने बताया कि शनिवार को मंदिर में हवन यज्ञ का आयोजन हुआ। वहीं रविवार को विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। जिसमे सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
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