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निगम के सात हजार पेन्शनर पेन्शन के भुगतान एवं पैन्शन कम मिलने की समस्या से अत्याधिक परेशान:अशोक पुरोहित


पालमपुर ,रिपोर्ट

हि०प्र० पथ परिवहन निगम पैन्शनर समस्या समाधान मंच के प्रदेश संयोजक अशोक पुरोहित ने पालमपुर में पत्रकार वार्ता में कहा कि हि०प्र० सरकार एवं निगम पेन्शनरों की समस्याओं के समाधान हेतु तत्काल प्रभाव से कदम उठाए। अशोक पुरोहित ने कहा कि इस समय निगम के सात हजार पेन्शनर पेन्शन के भुगतान एवं पैन्शन कम मिलने की समस्या से अत्याधिक परेशान हैं। उन्होंने कहा कि चूँ कि एच०आर०टी०सी० के पैन्शनरों को इस समय 30 प्रतिशत पैन्शन का कम भुगतान किया जा रहा है, वह भी समय से नहीं किया जाता है। एक महीने की पेन्शन लंवित कर भुगतान किया जा रहा है जो कि वरिष्ठ नागरिकों से भेदभाव पूर्ण व्यवहार ओर भद्दा मजाक है। उन्होंने कहा कि जिन्दगी के इस पड़ाव पर निगम पैन्शनर अनेक बिमारियों से ग्रस्त है। अपनी चिकित्सा भी सही ढंग नहीं करवा पा रहे हैं।


 चिकित्सा पर अत्याधिक खर्च होने के कारण निग्म पैन्शनर अपना जीवन यापन भी सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। अनेक पेन्शनर चिकित्सा के खर्चे के आभाव में काल का ग्रास भी बन रहे हैं। पुरोहित ने कहा कि वर्तमान कोविड काल में केवल निगम पैन्शनरों को ही तंगी दी जा रही है। अन्य सभी भुगतान प्रदेश सरकार नियमित रूप में कर रही है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश सरकार एवं निगम के निशाने पर पेन्शनर ही है। यह वर्ताव, अमानवीय और असंवैधानिक है। पुरोहित ने कहा कि सबका साथ सबका विकास सबके विश्वास का नारा निगम पैन्शनरों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास सबके विश्वास का नारा और एच०आर०टी०सी० पेन्शनरों का विनाश कहाँ तक उचित है? पुरोहित ने आगे कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम हि०प्र० प्रदेश सरकार का उद्योग है जो रोड ट्रान्सर्पोट एक्ट 1950 के प्रावधानों के अंतर्गत आता है, इसकी समूची जवाबदेही, देनदारियाँ सरकार की ही हैं। वर्तमान सरकार इस बात से पल्ला नहीं झाड़ सकती है कि एच०आर०टी०सी० स्वायत निगम है चूँ कि निगम का अध्यक्ष परिवहन मंत्री होता है और निगम के सभी नितिगत फैसले सरकार बोर्ड को माध्यम मानकर लेती है, पथ परिवहन निगम की तुलना अन्य बोर्डो ओर निगमों नहीं की जा सकती है। पुरोहित ने कहा कि हमारे पास न्यायपालिक के समाधान का विकल्प भी है लेकिन सरकार अपनी जवाबदारी में कहाँ खड़ी है? यह भी अपने आपमें एक प्रश्न है? उन्होंने कहा कि परिवहन निगम अनिवार्य सेवा के कानूनी दायरे में आता है, जिसका कानून देश की संसद ने बनाया है। उन्होंने कहा कि पेन्शनर पेन्शनरों का संवैधानिक अधिकार है, यह कोई राजनैतिक खैरात नहीं है. देश और प्रदेश की न्यायपालिका ने अपने विभिन्न निर्णयों में सभी बातों की पुष्टि की है। न्याय और कानून के शासन भी दुहाई देनी वाली सरकार संविधान और न्यायालयों के आदेशों की क्यों अवहेलना कर रही है। पुरोहित ने कहा कि वर्ततान सरकार ने अपने संकल्प पत्र को निति दस्तावेज बनाया है तो उसमें जिक्र हुई इन बातों की अनदेखी क्यों हो रही है। संकल्प पत्र में निगमों, बोड़ों में पेन्शनरों के हित की रक्षा की दुहाई दी गई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के और हैं। उन्होंने कहा कि  हि०प्र०प०परि० निगम के सात हजार परिवार यह माँग करते हैं कि उनकी इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया गया तो वह सड़कों पर उतरने हेतु मबजूर होंगे जिसका पूर्ण दायित्व हि०प्र० सरकार एवम् निग्म पर होगा। सरकार एवम् निग्म पैन्शनरों की इस समस्या का तत्काल समाधान करें।

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