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वीरभद्र कैसे मिले थे पंडित संत राम से

पंडित संत राम की पुण्य तिथि पर विशेष रिपोर्ट


बैजनाथ रितेश सूद


आज 30 जून बुधवार को पंडित संतराम की पुण्य तिथि है,पंडित संत राम  बैजनाथ से 6 बार विधायक रह चुके है,बैजनाथ विधानसभा में 13 बार चुनाव.हुए जिन मैं से 10 बार कांग्रेस जीत हासिल की,जिसमे 6 बार पंडित संत राम जतो 2 वार उनके बेटे सुधीर शर्मा ने चुनाव में जीत हासिल की थी,पंडित संत राम की राजनितिक शुरूआत का एक किस्सा आज भी प्रचलित है. जिसे अक्सर पुराने बुजुर्ग नई पीढ़ी को सुनाते हैं.



 बात उन दिनों की है जब वीरभद्र सिंह को 1971 मैं लोकसभा का मंडी से टिकट मिला, अब मंडी लोकसभा का टिकट तो मिला लेकिन जीत कैसे होगी इसको लेकर मंथन शुरू ही गया,वीरभद्र सिंह जीतने के मन्त्र को ढूढ़ते हुए जोगिन्दर नगर पहुंचे, वहां कांग्रेस के पास कोई ऐसा पकड़ वाला चेहरा चाहिए था जो वीरभद्र के चुनाव को गति दे सके,उसके बाद वो बाजार में घूम कर दुकानों में चर्चा करने लगे, तो एक दुकानदार भीखू राम ने वीरभद्र सिंह को बोला की आप थोड़ा रुको, अभी एक बस आएगी, उसकी फ्रंट सीट पे पंडित जी बैठे होंगे, उनसे बात करो.

वीरभद्र सिंह इंतज़ार मैं बैठ गए, बस करीब 2 घंटे बाद बस आई,वीरभद्र सिंह बस मैं चढ़े, पंडित जी टोपी बाले ढूंढे, और उन्हें बताया की मैं वीरभद्र सिंह हूँ, यहाँ से सांसद का चुनाव लड़ रहा हूँ और आपकी सहायता की जरूरत है,पंडित संत राम से बस मैं ही अपनी बात करने के बाद दोनों बस से उतर गए. पंडित जी ने हालाँकि कहा की वो राजनीति नहीं समाज सेवक हूँ वो भी छोटा सा लेकिन दोनों बस से उतर आये. की दूकान पर दोनों मैं बात हुई, पंडित संत राम ने कहा मैं राजनीति नहीं जानता हूँ, सिर्फ लोगो की सहायता करता हूँ,लेकिन वीरभद्र ने कहा आप आज के कांग्रेसी हुए, आप पार्टी मैं नहीं है लेकिन आप का काम समाज का है, मैं चाहता हूँ की मेरा चुनाव आप यहाँ देखे, क्यूंकि फिर वापिस आना उस समय उस इलाके मैं आसान नहीं था,पंडित संत राम से भी मना नहीं किया गया और कांग्रेसी ही बन गए. चुनाव पत्राचार के माध्यम से लड़ा गया,उसके बाद चुनाव शुरू हुआ, वीरभद्र अपना पूरा विश्वास उनके ऊपर छोड़कर आगे बढ़ गए, वापिस मुड़कर भी नहीं आये, चुनाव का नतीजा निकला तो पंडित जी की मेहनत का नतीजा सामने था,पंडित संतराम ने चुनाव अभियान संभाला जिसके बाद  बड़ी जीत वीरभद्र को मिली

उसके बाद इन दोनों की दोस्ती मिसाल बन गई, संत राम भी चुनाव.में उतरे, लगातार बैजनाथ से जीतें, मंत्री बने, अध्यक्ष बने लेकिन हमेशा कांग्रेस और वीरभद्र के साथ खड़े रहे.जब पंडित जी की मौत हुई तो वीरभद्र सिंह ने कहा था की आज मेरा एक हाथ कट गया,उसके बाद वीरभद्र सिंह ने दोस्ती को आगे बढ़ाते हुए उनके बेटे सुधीर को एक शसक्त कांग्रेसी बनाया जो आज भी उनके सबसे करीबी माने जाते है।


जैसा कांग्रेस के एक बजुर्ग व्यक्ति ने हमे बताया।

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