शिमला,रिपोर्ट
पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से देवभूमि में आबादी का ग्राफ दोगुना से अधिक हो गया। बढ़ती जनसंख्या के साथ प्रदेश ने इन पांच दशकों में साक्षरता और लिंग अनुपात में भी सुधार दर्ज किया। प्रदेश को 1971 में राज्य का दर्जा मिला था तब जनसंख्या 34.6 लाख थी जो कि 2011 की जनगणना में 68.6 लाख पहुंची और अब यह अनुमानित 75 लाख के करीब है। देश में लगातार बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंता जताई जाती रही है वहीं प्रदेश में इस विषय पर लोगों ने काफी जागरूकता दिखाई और राष्ट्रीय औसत के मुकाबले प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि का अनुपात कम रहा। वहीं साक्षरता दर और लिंग अनुपात के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय अनुपात को मात देता रहा है।
आंकड़ों के अनुसार 1991 में जब प्रदेश की आबादी 51 लाख के पार पहुंची थी उस समय प्रदेश का साक्षरता दर 64 फीसदी थी जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 75 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 52 फीसदी के आसपास दर्ज की गई थी। 2001 में प्रदेश की जनसंख्या 61 लाख के करीब पहुंची तो उस समय साक्षरता दर बढ़कर 76 फीसदी तक जा पहुंची। जिसमें पुरुषों व महिलाओं की साक्षरता दर 58 और 67 प्रतिशत दर्ज की गई थी। 2011 की जनगणना में प्रदेश की आबादी का ग्राफ 68.6 लाख को छू गया तो साक्षरता दर भी बढ़कर 83 प्रतिशत के करीब जा पहुंची। इसमें पुरुषों का आंकड़ा 91 और महिलाओं का 77 प्रतिशत के करीब था। देश में जहां घटते लिंग अनुपात को लेकर चिंता जताई जा रही है और बेटियां बचाने को लेकर अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं प्रदेश में लिंग अनुपात का ग्राफ भी राष्ट्रीय औसत को पछाड़ रहा है। वर्ष 1991 में लिंग अनुपात 976 प्रति हजार था जो वर्ष 2001 में कम होकर प्रति हजार 968 जा पहुंचा था। जबकि वर्ष 2011 में प्रदेश में लिंग अनुपात का आंकड़ा बढ़कर 974 हो गया जबकि राष्ट्रीय स्तर पर लिंग अनुपात 940 दर्ज किया गया था। गौरतलब है कि 2011 में राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दर 74 फीसदी थी जबकि हिमाचल में यह 83 फीसदी दर्ज की गई थी जो कि इस वक्त 87 फीसद के करीब है।
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