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श्रद्धालु चढ़ा सकेंगे चिंतपूर्णी में प्रसाद, मुंडन संस्कार पर भी नहीं होगी रोक

 चिंतपूर्णी, रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश की शक्तिपीठों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए एक जुलाई से खुल जाएंगे। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी भी तैयार कर ली गई है। चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट सुबह सात से शाम को आठ बजे तक खुले रहेंगे। 



चिंतपूर्णी मंदिर में हवन यज्ञ और लंगर लगाने पर पाबंदी रहेगी। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रसाद चढ़ाने एवं बच्चों के मुंडन संस्कार पर रोक नहीं लगाई गई है। श्रद्धालुओं की चिंतपूर्णी सदन और शंभू बैरियर पर स्क्रीनिंग की जाएगी। गर्भ गृह में केवल पुजारियों को जाने की अनुमति होगी। 

वहीं, बुजुर्ग एवं दिव्यांग श्रद्धालुओं को लिफ्ट से दर्शन करने के लिए भेजा जाएगा। मंदिर में 42 सुरक्षा कर्मी अलग-अलग जगह तैनात किए जाएंगे। इनमें 30 एक्स सर्विसमैन और होमगार्ड के 12 जवान शामिल हैं। उधर, उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि एक जुलाई से चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के खोल दिए जाएंगे। 


इसके लिए प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। कोरोना एसओपी के अनुसार ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने दिया जाएगा। श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए जल्द समयसारिणी भी तय कर दी जाएगी। चिंतपूर्णी सदन में बच्चों के मुंडन संस्कार किए जाएंगे और श्रद्धालु मंदिर में प्रसाद भी चढ़ा सकेंगे। 


पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे। कन्या पूजन और हवन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी।

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