शिमला,रिपोर्ट
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने एक बार फिर शिक्षा बोर्ड पर बच्चों के अनहित होने का आरोप लगाए हैं उन्होंने कहां की शिक्षा बोर्ड का क्राइटेरिया मेरिटोरियस बच्चों के हित में नहीं है चौहान ने आरोप लगाया कि स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बच्चों के भविष्य के लिए होने वाले इतने बड़े निर्णय के लिए कोई भी अभ्यास नहीं किया जिससे इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकें और मेरिटोरियस बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ ना हो ।
हैरानी की बात है कि बोर्ड ने इतने बड़े निर्णय लेने से पहले पंजीकृत शिक्षक संघों एवं शिक्षाविद व अभिभावकों से भी मंत्रणा करना उचित नहीं समझा । चौहान ने कहा कि 10वीं और 12वीं के हिंदी और अंग्रेजी का जो पेपर हुआ है उसके लिए क्राइटेरिया लगाना कितना तर्कसंगत है उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि बहुत से बच्चे जिनका अंग्रेजी या हिंदी में एनुअल पेपर में 85 या 90 नंबर आ रहे हैं और प्री बोर्ड व फर्स्ट ,सेकंड टर्म के क्राइटेरिया के आधार पर जिसमें 40 नंबर प्री बोर्ड के रख दिए गए हैं और केवल मात्र पांच नंबर ही एनुअल पेपर के क्राइटेरिया मे रखे गए है तो criteria के आधार पर यदि बच्चे के कुल मार्क्स 80 ही बनते हो तो उस बच्चे को 90 नंबर की जगह जो उसने वार्षिक परीक्षा में वास्तव में अर्जित किए हैं उसके स्थान पर 80 नंबर देना कितना उचित है । यह एक बहुत बड़ी खामी शिक्षा बोर्ड के क्राइटेरिया में झलक कर सामने आ रही है जिससे अच्छे बच्चों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ हो सकता है।
चौहान ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए बोर्ड को सलाह दी कि क्राइटेरिया में दोनों विकल्प रखे जाए , बच्चों द्वारा क्राइटेरिया में लिए गए नंबर अथवा वार्षिक परीक्षा में अर्जित किए गए नंबर में से जो ज्यादा है वह नंबर बच्चे को मिलने चाहिए । वास्तव में बच्चा उसका हकदार भी है।
वैसी भी प्री बोर्ड परीक्षाएं जिसके लिए हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ और अन्य संगठन व अभिभावक और शिक्षाविद् इसके पक्ष में नहीं थे और ना ही बच्चे पूरी तरह से इन परीक्षाओं को देने के लिए मानसिक रूप से त्यार थे इसलिए इन परीक्षाओं को बच्चे के वार्षिक परिणाम के लिए 40% का आधार बनाना संघ को राज नहीं आ रहा है यह सरासर बच्चों के साथ अन्याय व ज्यादती लग रहा है इसलिए हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ मुख्यमंत्री ,शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग एवम शिक्षा बोर्ड से अनुरोध करता है के इस पर पुनर्विचार किया जाए और अर्जित किए गए अंकों के आधार पर ही अन्य पेपर का भी क्राइटेरिया में जगह रखी जाए केवल मात्र फेल हो रहे बच्चों के लिए ये क्राइटेरिया अपनाया जाए क्योंकि मेरीटोरियस बच्चों को इससे उनकी मेरिट में नुकसान हो सकता है संघ के अध्यक्ष ने कहा कि उन्हे प्रदेश की विभिन्न कोनों से स्कूल प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों के फोन आ रहे हैं और और वे बच्चों के हित में इस क्राइटेरिया में कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं इसलिए संघ छात्र हित में सरकार व शिक्षा बोर्ड के समक्ष अपना पक्ष रख रहा है इस संदर्भ में संघ लिखित में भी शिक्षा बोर्ड को एक ज्ञापन सौंपने वाला है।
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